KANPUR : लाखों की कमाई करने वालों के चलते उत्तर प्रदेश क्रिकेट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है?

कानपुर

BHUPENDRA SINGH : उत्तर प्रदेश की सभी आयु वर्ग की क्रिकेट टीम में भ्रष्ट भर्ती प्रक्रिया के चलते यहां का क्रिकेट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। साल 2015 के बाद से ये स्थिति बद से बदतर होने की दिशा में थी जो अब पूरी तरह से बाहरी लोगों के हाथ में आने के बाद सबसे बुरे दौर में है। टीम को चुनने के लिए दिल्ली में बैठे सबसे भ्रष्ट सुपर सेलेक्टर जो फोन पर ही प्लेइंग इलेविन की घोषणा करते है। यही नही वह भ्रष सुपर सेलेक्टर बाहरी प्रान्त से आने वाले खिलाडियों को यूपी से खिलवाने के एवज में लाखों रुपए की कमायी भी करते है।इससे पहले यूपी क्रिकेट ने इतने बुरे समय का सामना शायद ही कभी किया हो।

प्रदेश की टीमें न तो जूनियर और न ही सीनियर आयु वर्ग में अच्छा कर पा रही हैं, चयनकर्ताओं पर रिश्वत लेने का आरोप लग रहा है और संबंधित लोग सब कुछ जानने के बावजूद भी अपनी आँखें बंद किए हुए हैं।ये ऐसे सवाल हैं जो एक बार फिर उठ रहे हैं और यह उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन सचिव ज्योति बाजपेई के दिनों की याद दिलाते हैं, जब कानपुर के दो वरिष्ठ क्रिकेटरों, जिनमें भारत के एक पूर्व स्टार भी शामिल थे, पर चयन के बदले पैसे लेने का आरोप लगाया गया था। यूपीसीए के सूत्रों की माने तो खिलाडियों को टीम में चुने जाने के लिए कोई रेट लिस्ट तय नहीं है लेकिन पैसा लेने का पुराना सिस्टम कथित तौर पर नए अंदाज में काम कर रहा है।

सीनियर टीमों में खेलने के लिए 1 करोड़ रुपये में से मास्टर माइंड सुपर सेलेक्टर के पास जाता है जबकि शेष का बंटवारा किया जाता है या फिर उस चयनकर्ता के पास जाता है जो उस खिलाडी के सम्पर्क में रहता है। यही नही इस भ्रष्ट भर्ती प्रक्रिया में कानपुर में कुछ स्थानीय लोग शामिल हैं, जिनमें चमड़े के बेल्ट, पर्स और जैकेट का कारोबार करने वाला एक व्यापारी का नाम आता है, जो सुपर भ्रष्‍ट सेलेक्‍टर के बहुत करीब हैं और क्रिकेटरों और चयनकर्ताओं के बीच बिचौलियों का काम करता हैं। उत्तर प्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम के एक पूर्व सदस्य रहे खिलाडी ने पहले भी कहा था कि टीम प्रबंधन अपने फोन पर “किसी विशेष” को प्लेइंग इलेवन के नाम पढ़ कर सुनाता है इसके बाद ही कप्तान टॉस के लिए जाता है।

यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने घरेलू क्रिकेट में टीमों के खराब प्रदर्शन के लिए “भ्रष्ट प्रणाली” को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा कि यही कारण है कि पिछले 5-7 वर्षों में कई बाहरी लोग, विशेष रूप से पड़ोसी दिल्ली और हरियाणा और उत्तराखंड के अमीर परिवारों से संबंधित पुरुषों की जूनियर और सीनियर पुरुषों की टीमों में जगह बनाई। अगर वे काफी अच्छे हैं, तो उन्हें अपने राज्यों के लिए खेलना चाहिए, लेकिन वे जानते हैं कि यहां उत्तर प्रदेश में, अगर वे अच्छा पैसा देते हैं तो उनका नाम प्लेइंग इलेविन से हट नही सकता।