Desk : कानपुर हिंसा में उपद्रवियों को फंडिंग करने के आरोपी बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार अहमद उर्फ मुख्तार बाबा की भी तीनों जमानत अर्जियां अपर जिला जज 16 ने खारिज कर दी हैं। एडीजीसी दिनेश अग्रवाल ने जमानत अर्जी के विरोध में तर्क रखा कि बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा, उसके लड़के महमूद उमर, बिल्डर हाजी वसी व उसके मैनेजर हमजा ने हयात जफर की तरफ से बुलाई गई बंदी की आड़ में हिंसा फैलाकर चंद्रेश्वर हाता खाली कराने की योजना बनाई थी।
उपद्रव से पहले इस संबंध में बैठक की गई। तय हुआ था कि प्रदर्शनकारियों की भीड़ में उपद्रवियों को शामिल कराकर भीड़ को चंद्रेश्वर हाते की ओर मोड़ दिया जाएगा। उपद्रवी हिंसा कर दहशत फैला देंगे। गोला-बारूद चलाने वाले, ठिलिया पर ईंट-पत्थर लेकर चलने वाले और पत्थर चलाने वालों को चुपचाप पैसे देकर तैयार करने की योजना भी बनाई गई, जिसकी जिम्मेदारी डी-2 गैंग के अफजाल को दस लाख रुपये बयाना देकर सौंपी गई।
हाते पर कब्जे के बाद अफजाल को एक करोड़ रुपये देने का लालच भी दिया गया था। जफर हयात हाशमी के बयान में भी आया है कि बाबा बिरयानी वाले मदरसों में खाना भिजवाते थे और अब वसी बिल्डर के साथ मिलकर मकान खाली कराने का धंधा करते हैं। वहीं मुख्तार की ओर से अधिवक्ता नरेश चंद्र त्रिपाठी व कमलेश पाठक ने तर्क रखा कि मुख्तार के खिलाफ पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।
सीसीटीवी कैमरों में घटनास्थल पर उसकी कोई फुटेज नहीं है। कॉल डिटेल से भी उसके उपद्रव में शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं। वह न तो उपद्रव में शामिल रहा और न ही उपद्रवियों की कोई आर्थिक मदद की। हाजी वसी से कोई लेनादेना नहीं है। मुख्तार बुजुर्ग व बीमार है। जमानत दी जानी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मुख्तार के खिलाफ लगे आरोपों को गंभीर मानते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।