-15 खिलाडी खेलेंगे मैदान में बाकी बचे होटल में रहकर मारेंगें मौज
Bhupendra Singh: अगर आप भारत के चुनिंदा शहरों में लग्जरी एंजॉय करना चाहते हैं तो यूपीसीए की किसी भी क्रिकेट टीम के साथ बढ़िया मौका मिल सकता है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सभी आयु वर्ग की टीमों के साथ कमोवेश क्रिकेटर तो लग्जरी इंजॉय कर ही सकते हैं। भले ही वह क्रिकेटर 15 की घोषित टीम के बाद शामिल किए गए हो या स्टैंडबाई में रखे गए हो ।यही नहीं टीम के साथ सपोर्टिंग स्टाफ भी लग्जरी एंजॉय करने से वंचित नहीं रह सकते ।बीते कई वर्षों से उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सुपर भ्रष्ट सेलेक्टर 15 कि नहीं 25 से 35 लोगों की टीम चुनकर अण्डर-14 से लेकर अण्डर-19 के साथ ही सीनियर वर्ग जैसे राज सिंह डूंगरपुर” सैयद मुश्ताक अली” रणजी ट्रॉफी “विजय हजारे “कर्नल सीके नायडू” कूचबिहार आदि प्रतियोगिताओं के लिए भेजते हैं।
फिर वह चाहे घरेलू मैदानों पर ही मैच क्यों ना हो रहे हो उसमें भी 25 से 35 खिलाड़ियों का दल फाइव स्टार होटलों में रहने व खाने की सुविधाओं के साथ हवाई जहाज की यात्रा और घूमने फिरने का मजा लेते दिखाई देते हैं। भले ही टीम का प्रदर्शन बद से बदतर हो लेकिन खिलाड़ियों को लग्जरी एंजॉय करने से नहीं रोका नही जा सकता है ।गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की भ्रष्ट नीतियों के चलते अब टीम में खिलाड़ियों की संख्या 3 टीमों के बराबर रखी जाती है।
जबकि पूर्व के समय में इन प्रतियोगिताओं के लिए केवल 12 से 15 खिलाड़ी रखे जाते थे स्टैंड बाय की स्थिति का पता भी किसी को नहीं चलता था। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के भ्रष्ट चयनकर्ताओं ने प्रशिक्षक और मैनेजर के साथ मिलीभगत करके उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के खिलाड़ियों को टीम में खिलाने का बयाना लिया है जिसे वह पूरा करते दिखाई दे रहे हैं। हद तो यह भी है कि यूपीसीए के तमाम पदाधिकारियों को स्थिति मालूम होते हुए भी उनके मुंह सिले हुए हैं।
कोई भी पदाधिकारी भ्रष्ट नीतियों का विरोध करते नजर नहीं आ रहा| यूपीसीए के पदाधिकारी अपने आला अधिकारी से डरते हुए बोलते तो है लेकिन सामने आकर विरोध दर्ज नहीं कराते। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि बीते कई वर्षों से संघ की चयन प्रक्रिया में व्यापक रूप से नीतियों की अवहेलना की जा रही है। जिसे रोकना बहुत आवश्यक है हो चला है टीम ने उन्हें खिलाड़ियों को लिया जाना चाहिए जो खेलने के असली हकदार हो और प्रदेश का नाम रोशन कर सकें।
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