कानपुर, भूपेंद्र सिंह | उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पदाधिकारियो की ओर से नियम 38 का उल्लंघन कर महाप्रबंधक की नियुक्ति की गई थी | जिसका विरोध आज उग्र हो चला है यह विरोध कोई और नहीं महिला क्रिकेट से जुड़े सिलेक्टर और पूर्व भारतीय टीम के खिलाड़ी की ओर से किया जा रहा है | हाल ही में जारी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के बाद यूपीसीए में मचे हड़कंप के बाद पूर्व खिलाड़ी ने महिला क्रिकेट की महाप्रबंधक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है |
यूपीसीए की अर्चना मिश्रा ने मीडिया में महाप्रबंधक द्वारा किए जा रहे नियम 38 का उल्लंघन का पूरा हवाला देते हुए उनका कच्चा चिट्ठा खोल दिया है, कि जिन नियमों की अनदेखी कर उनको महाप्रबंधक नियुक्त किया गया है, उस पर उनकी रिकवरी होना अनिवार्य है एक तो यह है कि कोई भी खिलाड़ी या पदाधिकारी जो उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ से पूर्व में पैसे लेते आ रहा हो वह वेतन भोगी नहीं हो सकता |
यूपीसीए की अर्चना मिश्रा ने ऐसी महाप्रबंधक रीता डे के खिलाफ मीडिया में पत्र भेज कर यह जानकारी सभी को साझा की है कि अभी हाल में ही रीता डे और प्रदीप ओझा की बातचीत का ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आया हैं, जिसमें दोनों को परस्पर बातचीत करते सुना जा रहा है । रीता डे एक अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं कई वर्ष भारतीय टीम का हिस्सा भी रहीं x/6 और यूपीसीए की लाइफ़ टाइम मेम्बर भी हैं। वर्तमान में यूपीसीए की महाप्रबंधक हैं, जो कि न्यायसंगत नहीं है और पूर्णतया ग़लत है। एक आजीवन सदस्य जिसे यूपीसीए में वोट देने का अधिकार है उसी संस्था में वेतनभोगी महाप्रबंधक के पद पर नौकरी करना, यूपीसीए के नियम संख्या 38 का सरासर उल्लंघन है।
रीता डे के दवारा उक्त ऑडियो रिकॉर्डिंग में किसी के चरित्र पर जिस प्रकार से गंदी एवं भददी भाषा का प्रयोग कर टिप्पणी की गई जो अत्यंत निन्दनीय एवं अत्यंत अशोभनीय है। उनके बार बार इस प्रकार के मीडिया में प्रकाशित घृणित टिप्पणियों से नाराज एवं दुःखी होकर अर्चना मिश्रा को ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ गया है ।
प्रदीप ओझा जो कि पूर्व खिलाड़ी रह चुके हैं कुछ वर्षों तक यूपीसीए में कार्यरत भी थे, उनके द्वारा की गयी टिप्पणी से उनको अत्यधिक आघात पहुँचा । यूपीसीए में जब जब सही दिशा में सही कार्य करना चाहा, तब तब रीता डे द्वारा अर्चना पर अनर्गल टिप्पणी एवं भ्रामक खबर फैलाकर, तरह तरह के आरोप लगाकर बदनाम किया जाता रहा, 2014 एवं 2017 में उन्होंने इसी तरह भ्रामक खबर मीडिया में निकलवा कर घृणित कार्य किया, जिसकी लिखित शिकायत राजीव शुक्ला एवं सभी डाइरेक्टरों को भेजी थी, लेकिन उनके ख़िलाफ़ किसी भी तरह का कोई एक्शन न लेकर मामला रफा दफ़ा कर दिया गया और पुरस्कार स्वरूप यूपीसीए ऑफिस में महाप्रबंधक के पद पर आसीन किया गया।
उन्होंने मीडिया को भेजे गए पत्र में अकरम सैफी पर भी आरोप लगाया है कि जो यूपीसीए की सहारनपुर ईकाई के निदेशक हैं और यूपीसीए पूर्व सचिव एवं बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला जी के पीए बीसीसीआई की तरफ़ से हैं और युद्धवीर सिंह पूर्व सचिव एवं निदेशक यूपीसीए उन्हीं के इशारों पर ऑफिस के कर्मचारी एवं सभी सिलेक्शन कमेटी के सदस्य कार्य कर रहे हैं अन्यथा रीता डे जैसी चाटुकार जो नियमों को ताक पर रखकर इस तरह का घृणित कार्य करें, जिससे यूपीसीए के दामन को तार तार करने की साज़िश हो एवं निदेशकों की बदनामी हो और किसी भी प्रकार का एक्शन न हो, हास्यास्पद है ।
इन्ही लोगों की महत्वाकांक्षा एवं यूपीसीए में मनमानी को देखते हुए कई महिला एवं पुरुष इंटरनेशनल खिलाड़ियों को प्रदेश छोड़कर दूसरे प्रदेशों का परचम लहर रहे हैं जोकि प्रदेश के लिए बड़े दुख का विषय है अकरम सेफ़ी का सभी अधिकारियों, स्लेक्टेरो, टीम कोच. मैनेजर, यूपीसीए कर्मचारियों व मेम्बरों पर इतना गहरा प्रभाव है कि कोई उनकी मर्जी के बिना कोई भी कार्य न कर सकते हैं जैसे टीम का सेलेक्शन महिला / पुरुष, कैम्प का सेलेक्शन, कप्तान की नियुक्ति, यहाँ तक कि मैच मैं कौन 11 खिलाड़ी खेलेंगे / क्योंकि इन सब क्रत्यों से प्रदेश की टीम 2014 से पहले जैसा प्रदर्शन नहीं कर पास रही हैं ।
जब टीमों के सिलेक्शन का समय आता है खिलाड़ी के पास अकरम सेफ़ी और युद्धवीर सिंह के दलाल संपर्क करते हैं जिसकी ऑडियो कई बार मार्केट मैं आती है परंतु राजीव शुक्ला की छत्रछाया अकरम सेफी एवं युद्धवीर सिंह के चाटुकार रीता डे जैसे लोग पर कार्यवाही नहीं होती है और खिलाड़ियों का दोहन करते रहते हैं उत्तराखंड की टीम जो सिर्फ पाँच वर्ष पुरानी है, टी-20 के फ़ाइनल में खेली, वहीं यू पी की टीम इतनी पुरानी टीम होने के बावजूद कभी सेमीफ़ाइनल तक नहीं पहुँचीं।
यही कारण है कि यूपी की कि टीम कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पायी। अकरम सेफ़ी का सभी अधिकारियों, स्लेक्टेरो, टीम कोच. मैनेजर, यूपीसीए कर्मचारियों व मेम्बरों पर इतना गहरा प्रभाव है कि कोई उनकी मर्जी के बिना कोई भी कार्य न कर सकते हैं जैसे टीम का सेलेक्शन महिला / पुरुष, कैम्प का सेलेक्शन, कप्तान की नियुक्ति, यहाँ तक कि मैच मैं कौन 11 खिलाड़ी खेलेंगे / क्योंकि इन सब क्रत्यों से प्रदेश की टीम 2014 से पहले जैसा प्रदर्शन नहीं कर पास रही हैं ।
जोकि दर्शाता है रीता डे और सिलेक्टरों के कराण अकरम सेफी और युद्धवीर सिंह जैसे लोग खिलाडियों से कितने बड़े स्तर पर दोहन कर रहे हैं अर्चना मिश्रा की भेजी हुई चिट्ठी ने पूरे यूपीसीए के आलॉअधिकारियों के बीच हड़कंप मचा रखा है | इस विषय पर जब जिम्मेदार लोगों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी ने भी फोन उठाना गवारा नहीं समझा |