कानपुर/ बीपी प्रतिनिधि : सुदूर ग्रामीण अंचल की गोद में बसा हुआ सीढ़ी ग्राम सभा का एक मजरा सिद्धपुर गांव जो विकास की सीढ़ी से भी कोसों दूर स्थित है। जिसके एक सिरे पर प्रभु राम की तपोस्थली चित्रकूट को ले जाती हुई उत्तर मध्य रेलवे की लाइन है। जो हर वक्त धाम दर्शन पर जाने के लिए प्रेरित करती रहती है।
दूसरे सिरे पर मानो मां अनुसुइया की तरह अपनी तपोस्थली को चरितार्थ करती हुई नम्रता अवस्थी का कम्पोजिट विद्यालय सिद्धपुर। नम्रता इस चिलचिलाती धूप और गर्मी में बड़े मनोयोग से अपने अभिन्न सह कर्मियों के साथ जामू संकुल के विभिन्न विद्यालयों से आये हुए प्र.अ. /एआरपीसी बन्धु व अपने ब्लॉक के मुखिया सुनील द्विवेदी का स्वागत करने को आतुर थीं। अवसर था संकुल जामू की सामूहिक मासिक बैठक का और खण्ड के मुखिया द्वारा बाल वाटिका के उद्घाटन का।
ये वही सिद्धपुर था। जिसके आले में अभी तक लालटेन और दियों की रोशनी मद्धिम भी नहीं हुई थी, क्योंकि विधुतीकरण हुए कुछेक महीने ही हुए थे। जहाँ जगह-जगह दिख रही विषम परिस्थितियों के बावजूद खेत खलिहानों में बड़े मनोयोग से कृषक अपने परिवार के साथ लगा हुए थे। वही अपनी विनम्र सहयोगियों की टोली के साथ सिंह गर्जना करती हुई नम्र नम्रता भी उतने मनोयोग से व्यवस्था में लगी हुई थी।
उनके नेतृत्व की क्षमता प्रदर्शन विद्यालय का कोना-कोना व शैक्षिणिक कमरे अपने आप ही बयां कर रहे थे। प्रत्येक कक्ष सुंदर, सुपरिभाषित TLM से सुसज्जित किया गया था। उनमें सुव्यवस्थित ढंग से प्रत्येक बच्चे के बैठने लिए फर्नीचर की व्यवस्था की गई थी।प्रत्येक कमरे में हवा और रोशनी के लिए विद्युत सयंत्रों व्यवस्था की गई थी।चलचित्र के माध्यम से आधुनिक शिक्षा की दिशा में विद्यालय प्रबंधन उन्मुख था।
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