कानपुर , बीपी डेस्क। कानपुर गौशाला सोसायटी की एक बैठक जिलाधिकारी नेहा शर्मा के साथ उनके कैंप कार्यालय में हुई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सदस्य गौशाला व विधायक सुरेंद्र मैथानी कर रहे थे। जिसमें निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई और उनके निदान का जिलाधिकारी द्वारा आश्वासन दिया गया और कहा कि कोई भी भूमाफिया जो गोवंश की जमीनों गौशालाओं की जमीनों पर कब्जा करेगा वह बचेगा नहीं उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विषय कानपुर गौशाला सोसायटी की जमीनों में भूमि सीमांकन व अनधिकृत हो रहे कब्जे हटवाने एवं गोवंश के चारा संकट से निजात दिलाने के संबंध में। कानपुर गौशाला सोसायटी की स्थापना 1888 ईस्वी में हुई थी या गौशाला उत्तर प्रदेश गौशाला अधिनियम के अंतर्गत संचालित है।
उत्तर प्रदेश गौशाला गौ सेवा आयोग लखनऊ व भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड भारत सरकार से पंजीकृत एवं मॉडल गौशाला घोषित है भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा गाय के उपयोग की जमीन पर होने वाले कब्जे को अपराध की सीमा मैं माना है कानपुर गौशाला सोसायटी की विभिन्न जमीनों पर भू माफियाओं ने अनाधिकृत कब्जा कर रखा है।
इसके संबंध में कई बार अनुरोध किया गया परंतु कोई उचित कार्यवाही नहीं होती गौशाला की 105 बीघा जमीन सरकार ने अधिगृहित करके भारत पैट्रोलियम को दे दी जिसका मुआवजा आंशिक भुगतान ही प्राप्त हुआ है गौशाला जमीनों का लगान आज तक नियमित दे रही है।
गौशाला पुराना कानपुर रानी घाट जिसमें अनाधिकृत कब्जे होते जा रहे हैं। मोहन सेठ नामक व्यक्ति निरंतर उसमें निर्माण करा कर रहा है। उसको रोकने की आवश्यकता है गोवंश को खिलाने वास्ते भूसा की आवक कम होने व अत्याधिक महंगा होने के कारण के चारे का संकट उत्पन्न हो गया है जिसके परिणाम स्वरूप भविष्य में गोवंश की क्षति की आशंका है।
सभी गौशाला के पदाधिकारियों ने डीएम से अनुरोध किया कि गोवंश का पालन पोषण होने में दिक्कत हो रही है यदि आपके सहयोग से जमीन खाली हो गई तो एक वर्ष के लिए पर्याप्त चारा आदि उपलब्ध हो सकता है। जिससे गांव के संवर्धन सुधार होगा और गौशाला की जमीनों की पैमाइश करा कर जो भू-माफिया जमीन दावे हैं।
उन से मुक्त कराया जाए जिससे कि उस पर हरे चारा का उत्पादन किया जा सके। सुरेश गुप्ता संयोजक उपाध्यक्ष ने बताया पहले चारा मध्यप्रदेश और राजस्थान हरियाणा पंजाब से भी आ जाता था उत्तर प्रदेश में अबकी बार किसानों द्वारा लाही तथा जीरा बोया गया है जिससे कि गेहूं का उत्पादन कम हुआ इस कारण भूसे की आवक कम है।
श्री गुप्ता ने जिला प्रशासन से भी अनुरोध किया की जो गौआश्रय केंद्र बने हैं उसमें भूसा संरक्षित करा दिया जाए नहीं तो आगे गोवंश भूख के की का घर पर पहुंचेंगे। पुरुषोत्तम लाल तोषनीवाल महामंत्री ने कहा कि भूसे की जगह हमें कुछ और अल्टरनेट उत्पाद की ओर जाना होगा।
इस संबंध में कृषि विश्वविद्यालय से भी बात करेंगे जैसे कि गौवश को चारे की कमी न हो सके बैठक में सुरेंद्र मैथानी विधायक ,सुरेश गुप्ता संयोजक अवधेश बाजपेई, सुशील कनोडिया, उपाध्यक्ष, पुरुषोत्तम लाल तोषनीवाल महामंत्री, कृष्ण बब्बू जी मंत्री मौजूद थे।