यूपीसीए की कार्यप्रणाली और व्याप्त अनियमितताओं को लेकर हुई ऑनलाइन मीटिंग

कानपुर

कानपुर/ भूपेंद्र सिंह : उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की कार्यप्रणाली और व्याप्त अनियमितताओं को लेकर आवाज उठाने वाले सदस्यो राकेश मिश्रा कमल चावला, मनोज पुंडीर, असद डॉ जावेद और अभिषेक शुक्ला ने इस ऑनलाइन मीटिंग को लेकर पहले ही अपना विरोध ईमेल से दर्ज करा दिया था और आज भी इसी आपत्ति के साथ सबने क्रिकेट विकास को लेकर मीटिंग में भाग लिया।

पूर्व में हुई ऑनलाइन मीटिंग के कटु अनुभव को देखते हुए आज मीटिंग शुरू होते ही राकेश मिश्रा और अन्य सदस्यों ने चेयरमैन से कहा कि आज की मीटिंग में सबको अपनी बात कहने का अवसर दिया जाए और किसी को म्यूट न किया जाए। परंतु आज भी सभी अपैक्स सदस्यों को बिना बोलने का मौका दिए सबको म्यूट कर दिया गया । राकेश मिश्रा मनोज पुंडीर असद और अभिषेक शुक्ला आदि ने कुछ मुद्दों पर आपत्ति की तो उनका माइक बन्द कर दिया गया जबकि ऑनलाइन मीटिंग के नाम पर upca आफिस में बहुत से सदस्य जैसे प्रेम मनोहर गुप्ता अरविंद श्रीवास्तव, फहीम, तालिब अनिल कम्ठान दीपक शर्मा अनुराग गुप्ता और विनीत गुप्ता मीटिंग में एक साथ बिना मास्क के बैठे नजर आए। मीटिंग में गैर सदस्य अरविंद राय भी नजर आए। इसके अतिरिक्त मीटिंग में ऑनलाइन आने से पहले ही किसको अध्यक्षता करनी थी यह भी सबकी सहमति से नहीं किया गया।

सभी की आपत्ति के बाद भी मीटिंग में प्रेम मनोहर गुप्ता और अरविंद श्रीवास्तव ने एक एक कर सारे एजेंडे पढ़ डाले जबकि इस एक तरफा मीटिंग में आवाज भी गड़बड़ कर दी गई। इसकी शिकायत ऑनलाइन रहे सदस्य बार बार करते रहे।

क्रिकेट को लेकर अपैक्स सदस्य कई सवाल पूछने को लेकर बैठे ही रह गए और खास तौर से सचिव बने प्रदीप गुप्ता तो 15 मिनट बाद ही ऑनलाइन मीटिंग में जुड़े और पूरी मीटिंग में एक शब्द तक नहीं बोल सके। दुर्भाग्य है कि अध्यक्ष निधिपति भी यह सब चुपचाप देखते रहे और कई मौके पर सिर्फ अपनी सहमति दिखाते नजर आए। कोच विजय दहिया रणजी टीम से क्यो हटे, लखनऊ टी20 मैच की आय व्यय और एकाउंट से जुड़े अन्य कई महत्वपूर्व मुद्दों पर बिना विचार विमर्श के ही मीटिंग सुनियोजित तरीके से निपटा दी गई। पैक्स कउन्सिल के बाकी सदस्य भी मीटिंग में मूक दर्शक बन कर देखते रहे। पूरी मीटिंग सिर्फ क्रिकेट के नाम पर मजाक बन कर रह गई।

अपैक्स कउन्सिल सदस्यों ने कहा है कि इस प्रकार की मीटिंग का कोई औचित्य ही नहीं है इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता कि अपैक्स कउन्सिल सदस्यों की आवाज ही बंद कर दी जाए। ऐसा पिछली मीटिंग में भी हुआ जिसे बार बार दोहराया जा रहा है। और इन्ही सब कारणों से ही उत्तर प्रदेश क्रिकेट में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर अपैक्स कौंसल सदस्य उच्च न्यायालय की शरण में गये है।

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