कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की सर्वोच्च कुर्सी पाने की चाहत अभी तक सदस्यों के बीच रहस्यमयी है। पूर्व सचिव के खास लोगों में भी कुर्सी पाने की ललक शायद अभी भी बरकरार है। फिरोजाबाद के प्रदीप गुप्ता को भले ही वर्तमान समय में सर्वोच्च कुर्सी सौंप दी गयी हो लेकिन इस बार की एजीएम से पूर्व उनकी कुर्सी छिन भी सकती है। संघ के भीतर फैली सियासत के लिए रियासत अली को जिम्मे्दार माना जा रहा है।
वह बन्द जुबान से ही सदस्यों के बीच जाकर चुनावी प्रक्रिया में पक्ष में रहने की बात कहते आ रहे हैं। रियासत अली को संघ में दूसरा राजीव शुक्ला कहा जाता है वह सियासत का जाल बिछाकर कुछ अपने चुनिन्दा भक्त सदस्यों के जरिए संघ का नेतृत्व प्राप्त करने का मंसूबा पाल रहें है। वह प्रतिदिन अपने खेमे के लोगों के साथ परस्पर संवाद ही नही मिलना जुलना भी जारी रखें है।
उन्होंने यूपीसीए की अन्दरूनी कलह को बढावा देने के लिए एपेक्स कमेटी के दो सदस्यों को बडी जिम्मेदारी दिलवा दी जिससे उनको संघ के शीर्ष नेतृत्व के लिए चुने जाने का मार्ग प्रशस्त हो सके। रियासत अली ने छोटे जिले के संघ के सदस्यों को बीते सितम्बर महीने में क्रिकेट के विकास के नाम पर 5-5 लाख रुपए भी दिलवाए जो इस समय उनके पक्ष में गुणगान करते दिखायी दे रहे हैं।
फतेहपुर, वाराणसी उन्नाव व बाराबंकी समेत गोरखपुर और छोटे जिलों के पदाधिकारी आजकल उनके साथ देखे जा सकते हैं।बीते तीन महीने पूर्व उन्नाव जिला संघ के पदाधिकारी को पैसे देने के लिए रियासत अली ने नई दिल्ली के हयात होटल में रात्रि भोज भी करवाया और अपने पक्ष में समर्थन देने की बात कही।वह पर्दे के पीछे से ही कई सदस्यों को ऊंचे पद पर स्थापित करवाने के लिए वादा और दावा करते आ रहे हैं।
यही नही अपनी महत्वांकाक्षां को पूरा करने के लिए संघ के एक निदेशक के निधन के बाद यूपीसीए का निदेशक इन्चार्ज बनने से भी नही चूके। माना जा रहा है वह पद उन्होंने इसलिए स्वीकार कर लिया ताकि वह प्रदेश संघ के सभी जिलों के पदाधिकारियों से सीधे सम्प र्क में रह सकें और शीर्ष नेतृत्व की कुर्सी पर बैठ सकें।