कानपुर, बीपी प्रतिनिधि। कानपुर में गंगा और पांडु नदी में गिर रहे सात नाले अब बंद किए जाएंगे। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) ने उन जमीनों की एनओसी मांगी है, जहां पर ये नाले बंद किए जाने हैं और पंपिंग स्टेशन बनने हैं। इसके लिए नगर निगम और गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसरों ने निरीक्षण कर टैपिंग प्वाइंट की जमीनें चिह्नित की हैं। ये जमीन छावनी परिषद और सिंचाई विभाग की हैं। दोनों को पत्र लिखा गया है।
इस रिपोर्ट के आधार पर एनएमसीजी धन स्वीकृत करेगा। इसके लिए 6.15 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई का दावा है कि दो माह में काम शुरू हो जाएगा। बता दें कि अटल घाट के बगल का रामेश्वर घाट नाला, उसके बगल का रानी घाट, छावनी का गोला घाट नाला, सत्तीचौरा नाला, मेस्कर घाट नाला गंगा में गिरते हैं। इसके अलावा गंदा नाला और हलुवाखेड़ा नाला पांडु नदी में गिरता है। रोजाना करीब 5.7 करोड़ लीटर गंदा पानी दोनों नदियों में जाता है।
हलुवाखेड़ा नाला पांच साल पहले बंद किया गया था, पर क्षमता से ज्यादा गंदा पानी आने की वजह से नाला ओवरफ्लो होता है। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने इन नालों को टैप करने के लिए 61.50 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन के माध्यम से एनएमसीजी को भेजा था। अब एनएमसीजी ने संबंधित विभागों से एनओसी मांगी है। तीन नालों (गोला घाट, सत्तीचौरा और मेस्कर घाट) में गंगा के किनारे की जमीन छावनी परिषद की बताई जा रही है। अन्य नालों के किनारे की जमीन सिंचाई विभाग की है।
निरीक्षण में नगर निगम के मुख्य अभियंता एसके सिंह, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर ज्ञानेंद्र चौधरी और सिंचाई विभाग के अफसर मौजूद रहे। गंगा और पांडु नदी में गिर रहे सात नाले जिन स्थानों में टैप करने हैं, वहां निरीक्षण किया गया है। छावनी परिषद और सिंचाई विभाग से एनओसी मांगी है। शासन के माध्यम से एनओसी एनएमसीजी को भेजी जाएगी। वहां से धन आवंटित होते ही नालों को टैप करने का काम शुरू हो जाएगा।