नहीं मानी जा रही सिटी बस के कंडक्टरों की मांग, दोपहर बाद लाठीचार्ज के बल कर निकलीं कुछ बसें

कानपुर

कानपुर/ पुलिन त्रिपाठी। शहर में विधानसभा चुनाव के पहले ई-बस सेवा शुरू हुई थी। वही अब परिचालकों की भर्ती में अब वसूली का मामला सामने आया है। उन्हें अच्छे वेतन का लाभ दिखाकर भर्ती के नाम पर एक-दो लाख रुपये की वसूली की गई। वही चार्जिंग स्टेशन में चालकों ने बुधवार से बसों का संचालन ठप कर दिया। गुरुवार को भी कंडक्टरों ने बसों को नहीं निकलने दिया। उनकी मांग थी वेतन में हो रही अवैध कटौती बंद हो। साथ ही यात्रियों के बिना टिकट चलने पर उन्हें दंड न दिया जाए। जो अभी पांच हजार रुपये तक वसूला जाता है। विरोध कर रहे बस कंडक्टरों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। तो कुछ बसों का परिचालन शुरू हो सका।

परिचालकों का कहना है कि भर्ती के दौरान उनसे एक से दो लाख रुपये वसूले गए थे। उन्हें आश्वासन दिया गया कि 16-17 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेगा। लेकिन, इसके बाद उन्हें किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। दिनभर बामुश्किल तीन-साढे़ तीन सौ रुपये ही बन पाते हैं। वह गैर जनपदों के रहने वाले हैं। इस हालत में उनका परिवार चलाना मुश्किल है। बस में कोई सवारी को बिना टिकट पर 10 गुना जुर्माना 5,000 वसूला जाते हैं। वहीं, एक दो महीने के लिए नौकरी से हटा दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि उनकी जगह पर फिर रुपये लेकर नए लोगों को भर्ती किया जा रहा है। इससे आक्रोशित होकर पुराने परिचालकों ने हंगामा किया। वहीं, मामले में मुख्य परिचालन अधिकारी सीओओ डीवी सिंह ने बताया कि यदि किसी को कोई दिक्कत हो तो कंडक्टरों का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिल सकता है। सात दिन में हम उनकी समस्या का समाधान करा देंगे। लाठीचार्ज से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि करीब 35 बसों को दोपहर में निकाला गया। तो कुछ कंडक्टरों ने विरोध कर दिया। पुलिस ने बल प्रयोगकर उन्हें पीछे कर दिया।

हालांकि वह यह नहीं बता सके जब डिपो में 165 कंडक्टर तैनात हैं तो 35 बसों में मात्र छह कंडक्टर ही क्यों भेजे गए। क्या बिना कंडक्टर दौड़ रही बसों से राजस्व का नुकसान नहीं होगा। डिपो इंजार्ज हर्षित तिवारी ने दबी जुबान में लाठीचार्ज की बात पहले तो स्वीकारी। बाद में कहा उस वक्त वह डिपो कार्यालय के भीतर थे।

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