-पोल खुलने के डर से सदस्यों के नाम के आगे से सरनेम ही गायब कर डाला
कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव अपने पास संघ की समस्त पावर अपने पास सीमित रखने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को ही आजीवन सदस्य बना डाला है। क्रिकेट से दूर-दूर तक नाता न रखने वाले इन पारिवारिक सदस्यों के बलबूते पूर्व सचिव यूपीसीए में अपना इकबाल बुलन्द किए हुए हैं। पूर्व सचिव ने दिल्ली में ही रहने वाले अपने छोटे भाई सुधीर शुक्ला और भतीजे सचिन शुक्ला को संघ में ये जिम्मेरदारी सौंपी है जिससे वह वोटिंग करवाकर किसी भी सदस्य का चुनावी परिणाम बदलने में सफलता पा सकते हैं। पूर्व सचिव से संघ के आजीवन सदस्यों के रिश्ते उजागर न हो सके उसके लिए तिकडम भिडाते हुए नाम के आगे से सरनेम ही गायब कर दिए है।
जिससे किसी को पता ही न चल सके कि ये आजीवन सदस्य किसके लिए कार्य को अंजाम देने के लिए नियुक्त किए गए है। लगभग तीन साल पूर्व प्रदेश क्रिकेट संघ में आजीवन सदस्य नियुक्त किए गए परिजनों के पास तमाम अधिकार हैं। यही नही पूर्व सचिव के रिश्ते में भतीजे लगने वाले एक आजीवन सदस्य अब महाप्रबन्धक स्तर के अधिकारी से रोजाना शाम को दिनभर के कार्यो की पूरी रिपोर्ट तैयार कर आलाकमान को प्रेषित करने का काम करते हैं। गौरतलब है कि यूपीसीए के पूर्व सचिव के भाई और भतीजे को आजीवन संदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और उनके नाम के आगे से शुक्ला शब्द ही गायब कर दिया।
जबकि ऐसा वह पूरी तरह से सम्पादित करने में नाकाम रहे। उनके फोन नम्बर और मेल आईडी को पंजीकृत रखने से परहेज नही कर सके। लगभग 49 आजीवन सदस्यों में से पूर्व सचिव समेत परिवार के तीन सदस्यों को संघ के आजीवन सदस्यों के रूप में नियुक्ति केवल वोट पाने के लिए की गयी है जबकि कई ऐसे सदस्य हैं जो नही कभी किसी मन्त्रणा का हिस्सा होते हैं और न ही किसी मैच में उनकी उपस्थिति देखी जा सकती है। यूपीसीए में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए संघ के पूर्व सचिव ने पूर्व सदस्य रह चुके लोगों के परिवारों को भी आजीवन सदस्य का तमगा दे रखा है जिससे संघ में उनके विरोध की आवाज ही न उठ सके।
पूर्व सचिव के छोटे भाई का नाम सूची में सुधीर कुमार के नाम से पंजीकृत है जबकि उनके भतीजे सचिन के नाम के आगे आनन्द लगाकर शुक्ला सरनेम ही गायब पाया गया है। जबकि इन दोनों के मोबाइल नम्बर दिल्ली के और मेल आईडी पर शुक्लां अंकित दिखाया गया है। इस प्रक्रिया से पूर्व सचिव का विरोधी गुट खासा नाराज दिखायी दे रहा है और उनकी शिकायत बोर्ड से करने के लिए विचार कर रहा है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि एक ही परिवार के कई लोगों को आजीवन सदस्य नियुक्त किया जाना कई नियमों की धज्जियां उडाता दिखायी दे रहा है। इस मामले को पदाधिकारियों के सामने रखकर कोशिश की जाएगी की उनकी सदस्यता निरस्त हो ताकि संघ में परिवारवाद का भेदभाव समाप्त हो सके।