DESK : गुजरात और हिमाचल के साथ आज यानी गुरुवार को 5 राज्यों की 6 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के रिजल्ट के लिए काउंटिंग शुरू हो गई है। UP की मैनपुरी लोकसभा सीट में डिंपल यादव 35 हजार वोटों से आगे चल रही हैं। यहां भाजपा के कैंडिडेट रघुराज शाक्य उनके सामने हैं। BJP और सपा के बीच यहां कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। वहीं, रामपुर में भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना और खतौली में भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी पिछड़ गए हैं।
यूपी में 3 सीटों पर हो रही काउंटिंग के शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं। मैनपुरी में डिंपल यादव मुलायम जैसा करिश्मा दिखाती नजर आ रहीं हैं। वह करीब 70 हजार वोट से आगे चल रहीं हैं। वहीं, आजम के रामपुर में भाजपा पिछड़ रही है। यहां आसिम रजा ने भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को चौथे राउंड में 3200 वोटों से पछाड़ दिया है। वहीं, खतौली में भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी पिछड़ गईं हैं। रालोद के मदन भैया दूसरे राउंड में 4030 वोट से आगे चल रहे हैं।
बता दें कि मैनपुरी लोकसभा सीट से मुलायम लगातार 26 साल से सांसद रहे हैं। उनके निधन के बाद खाली हुई सीट को अखिलेश यादव किसी भी हाल में अपने परिवार में रखना चाहते हैं। यही वजह है उन्होंने डिंपल यादव को मुलायम का उत्तराधिकारी बनाया है। दरअसल, मुलायम के निधन से सहानुभूति तो मिलेगी ही। साथ ही डिंपल यादव के आने से महिलाओं का सपोर्ट भी मिलेगा। साथ ही यदि सीट डिंपल निकाल लेती हैं तो सीट परिवार में ही रहेगी।
वहीं रामपुर सीट की हार-जीत से आजम खान का राजनीति में अस्तित्व भी तय होगा। यही वजह है कि आजम खान ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि, रामपुर विधानसभा सीट पर कम वोटिंग प्रतिशत भी आजम की परेशानी बढ़ा रही है। हालांकि, पूरे चुनाव प्रचार से लेकर मतदान के दिन तक आजम खान चुनाव आयोग पर हमलावर रहे। उनका आरोप रहा कि सरकार चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग कर रहा है।
बहरहाल, जानकार बताते हैं कि रामपुर में समाजवादी पार्टी के राह बहुत आसान नहीं हैं। दरअसल, दोनों ही पार्टियों ने हारे हुए कैंडिडेट पर दांव लगाया है। एक तरफ भाजपा से आकाश सक्सेना हैं तो दूसरी तरफ सपा से आजम के करीबी आसिम रजा हैं। आकाश सक्सेना वहीं है जिनकी शिकायत पर आजम को जेल तक जाना पड़ा। हालांकि, आकाश को विधानसभा चुनाव में आजम ने हराया था। जबकि आसिम रजा अभी हाल ही में रामपुर लोकसभा का उपचुनाव भाजपा से हार चुके हैं।
पश्चिमी यूपी की खतौली विधानसभा सीट पर भाजपा का 2017 से कब्जा है। चूंकि मुजफ्फरनगर दंगों में भड़काऊ बयान के बाद उनको दो साल की सजा हो गई। जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई थी। इसी वजह से खतौली में भी विधानसभा चुनाव हुए।
चूंकि सपा-रालोद गठबंधन में यह सीट रालोद के खाते में गई है। विधानसभा चुनाव 2022 में रालोद को सपा के सहयोग से 8 सीटें हासिल हुई हैं। ऐसे में जयंत चौधरी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। उन्होंने रालोद से मदन भैया को उतारा है। मदन चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके है। हालांकि, भाजपा उन पर बाहरी होने का आरोप लगा रही है। जबकि भाजपा ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी पर दांव लगाया है।
यह जीत भाजपा से ज्यादा मुजफ्फरनगर सांसद संजीव बालियान के लिए जरूरी है। दरअसल, किसानों के विरोध के बावजूद संजीव बालियान ने मुजफ्फरनगर सीट अजीत सिंह से जीत ली थी। सामने लोकसभा चुनाव है। ऐसे में भाजपा से ज्यादा इस सीट पर जीत संजीव बालियान के लिए जरूरी है। इस जीत से ही मैसेज जाएगा कि भाजपा पश्चिमी यूपी में मजबूत है।