नयागंज से बड़ा चौराहा के बीच भूमिगत टनल में रेल पटरियों की वेल्डिंग हुई पूरी; आज से शुरू की गई ट्रैक स्लैब की ढलाई….
स्टेट डेस्क : कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के पहले कॉरिडोर (आईआईटी से नौबस्ता) के अंतर्गत निर्माणाधीन चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन का काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
- वही पिछले दिनों बड़ा चौराहा से नयागंज मेट्रो स्टेशन के बीच लगभग 1260 मीटर लंबे भूमिगत टनल के ‘अपलाइन’ और ‘डाउन लाइन’ में रेल (पटरी) को बिछाने और उसे वेल्ड करने का कार्य जोरों से चल रहा था जिसे पूरा करने के बाद आज से ट्रैक स्लैब की ढलाई का कार्य आरंभ कर दिया गया।
- भूमिगत टनल में ट्रैक निर्माण के कार्य के आरंभ होने के साथ ही अब चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन का काम एक चरण और आगे बढ़ गया है।
ट्रैक निर्माण के लिए सर्वप्रथम इस सेक्शन में 2 अगस्त से रेल की पटरियों को लोअर यानी नीचे उतारे जाने की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। निर्माणाधीन बड़ा चौराहा मेट्रो स्टेशन के पास कट आउट से 18 मीटर लंबे और 1 टन वजनी 260 रेल की पटरियों को और उन्हें वेल्ड करने के लिए एफबीडब्लू (फ्लैश बट्ट वेल्ड) प्लांट को जमीन के नीचे उतारा गया था। 1 महीने से भी कम समय में दो दिन पहले दोनों ‘अपलाइन’ और ‘डाउन लाइन’ टनल में रेल की पटरियों के वेल्डिंग और बिछाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
इसके बाद इन रेल पटरियों के नीचे स्लैब के ढलाई की तैयारी आरंभ की गई। सबसे निचले सतह पर मास स्प्रिंग सिस्टम लगाया गया जिसके ऊपर लगभग 360 मिलीमीटर मोटी कंक्रीट की परत से ट्रैक स्लैब की ढलाई हुई। आगे ट्रैक स्लैब पर डिरेलमेंट गार्ड भी बनाया जाएगा और थर्ड रेल लगाने के लिए भी प्रबंध किए जाएंगे।
इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक श्री सुशील कुमार ने कहा कि, “चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन में ट्रैक निर्माण कार्य की शुरुआत हमारे लिए एक अहम पड़ाव है। इस सेक्शन में नवीन मार्केट से बड़ा चौराहा के बीच टनल निर्माण कार्य भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में कानपुर सेंट्रल से तीसरी टनल बोरिंग मशीन को भी जल्द ही लॉन्च करने की योजना है। मुझे खुशी है कि हमारी पूरी टीम और कार्यदायी संस्थाएं निर्धारित समय के अंदर अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरे दृढ़ संकल्प के साथ जुटी हुईं हैं।”
क्या है मास स्प्रिंग सिस्टम…
मास स्प्रिंग सिस्टम का प्रयोग ट्रेन के चलने के दौरान पैदा हो रहे कंपन और शोर को अवशोषित करने के लिए किया जाता है। पॉलियूरिथेन नामक पदार्थ से बने इस स्प्रिंग सिस्टम को ऑस्ट्रिया से आयातित किया गया है। इसे टनल के ऊपर सबसे निचले सतह पर लगाया गया है, जिसके ऊपर ट्रैक स्लैब और फिर सबसे ऊपर रेल की पटरी बिछी है।
उपरिगामी मेट्रो की तरह ही भूमिगत मेट्रो के लिए भी बैलेस-लेस (गिट्टी-रहित) ट्रैक का ही प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे ट्रैक में रखरखाव की कम से कम आवश्यकता पड़ती है। मेट्रो सेवाओं में 15-16 घंटों के लंबे ट्रेन संचालन के दौरान, ट्रेनों को बहुत कम आवृत्ति पर संचालित किया जाता है।
इसलिए इन घंटों के दौरान रखरखाव की लगभग कोई गुंजाइश नहीं होती है और एक ऐसे कुशल प्रणाली की आवश्यकता होती है जो कम से कम रखरखाव पर भी स्थिर और आरामदायक यात्रा की सुविधा प्रदान कर सके। बैलेस-लेस ट्रैक ये सारी सुविधाएं प्रदान करता है, साथ ही इसका जीवन-चक्र भी काफी लंबा होता है।
वर्तमान में कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के प्रथम कॉरिडोर के अंतर्गत चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन के अलावा कानपुर सेंट्रल-ट्रांसपोर्ट नगर भूमिगत सेक्शन पर और बारादेवी-नौबस्ता उपरगिमी सेक्शन पर भी निर्माण कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है।