सुप्रीम कोर्ट और बीसीसीआई को भी धोखा देने से बाज नही आ रहा यूपीसीए

कानपुर

कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन सुप्रीमकोर्ट और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रो ल बोर्ड को धोखा देने से बाज नही आ रही यही नही एसोसिएशन लोढ़ा समिति की सिफारिशों को ठेंगे पर रख रही है। संघ के कुछ पदाधिकारियों ने एसोसिएशन के खिलाफ अनियमितताएं बरतने की शिकायत बोर्ड से की गयी है।कोर्ट में संघ के खिलाफ असंवैधानिक तरीके से समानान्तर एपेक्स कमेटी को चलाने की भी शिकायत दर्ज करायी गयी है। शिकायत में बताया गया है कि यूपीसीए ने 5 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स समेत कुल 9 सदस्य रह सकते हैं जबकि समानान्तर एपेक्स कमेटी बनाकर निर्णय करने की बहार सी लगा दी है।

यही नही यूपीसीए के खिलाफ हाईकोर्ट में मामले लंबित चल रहे हैं लेकिन उनको भी दरकिनार कर वह होटलों में बडे स्तर पर आयोजन भी करता ही जा रहा है। यूपीसीए के सभी सदस्यों के साथ होटलों में मनोरंजन करते नजर आ रहे है।शिकायत कर्ता ने बीसीसीआई को यह भी बताया है कि संघ नियमों का पालन सही तरीके से करने में कोताही बरत रहा है। गौरतलब है कि लोढा समिति की सिफारिशों को न मानने की जिद पर भी यूपीसीए मानो अडा ही है तभी वह संवैधानिक तरीके से संघ को संचालित मनमाने ढंग से करवा रहा है।

लोढा समिति की सिफारिशों की माने तो बीसीसीआई से संबंधित कोई भी क्रिकेट एसोसिएशन का सदस्य 70 साल से ऊपर नहीं होना चाहिए। यही नहीं कई निदेशकों को लाभ के पद पर भी नियुक्त करने में संघ के कई सदस्य पीछे नहीं हट रहे हैं जबकि समिति की सिफारिशों में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि एक व्यक्ति के पास केवल एक ही पद निर्धारित रह सकता है।लोढा समिति के मुताबिक निदेशक पद के व्यक्ति के पास कोई और पद हो नही सकता जबकि प्रेम मनोहर गुप्ता पहले से ही निदेशक पद नियुक्त है और वह एपेक्स कमेटी के चेयरमैन भी बना दिए गए हैं।

यूपीसीए के सभी पदाधिकारी भी ऐसे मामलों में बिल्कुल चुप्पी साधे हुए है वह किसी भी मसले में बोलने को तैयार ही नही है। भारतीय क्रिकेट को नियमितताओं के तहत चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से साल 2017 में लागू की गयी लोढा समिति की सिफारिशें प्रदेश के संघ के सदस्यों ने मजाक बना कर रख दिया है। संघ के सदस्यों को सिफारिशें न मानने पर जुर्माना और सजा पाए जाने का खौफ भी शायद ही हो और ऐसा इसलिए भी संभव है कि हाईकमान के तार न्यायिक प्रक्रिया से ताल्लुक रखने वाले सदस्यों से जुडे हुए हो। प्रदेश क्रिकेट संघ में चल रहे आपसी मतभेद और तनातनी के बीच एपेक्स कमेटी के तमाम सदस्य व आला अधिकारियों के हठधर्मी रवैये से हतप्रभ है कि संघ के निर्णयों में कमेटी की बिना अंतिम मुहर लगे ही सभी प्रकार के आयोजन बराबर किए ही जा रहे है।

गौरतलब है कि लोढा समिति की सिफारिशों को देश भर के क्रिकेट संघों ने अपना लिया है और उसी के बनाए नियमों के तहत क्रिकेट से जुडे आयोजनों पर कार्य किया जा रहा है फिर वो चाहे महाराष्ट्र जैसा बडा राज्य का संघ हो या फिर त्रिपुरा जैसा छोटा राज्य। अब प्रदेश का संघ ही उनकी सिफारिशों को पूरी तरह से मानने को तैयार दिखायी नही दे रहा जबकि कागजों पर वह पूरी तरह से अमल करने का दम भर रहा है। प्रदेश के क्रिकेट संघ के भीतर चल रहे घमासान से बातें निकलकर सामने आ रही है कि एपेक्स कमेटी की बैठकों के बिना ही क्रिकेट से जुडे आयोजनों को संचालित किया जा रहा है जबकि लोढा समिति की सिफारिशों में साफ तौर पर इंगित है कि मैच या फिर एजीएम और क्रिकेट से जुडी गतिविधियों का संचालन केवल एपेक्स कमेटी के सदस्यों के अंतिम मुहर के बाद ही किया जा सकता है।

वर्जन-प्रदेश का क्रिकेट संघ लोढा समिति की सिफारिशों का पालन पूरी तरह से कर रहा है और वह बोर्ड को धोखा नही दे रहा है। एपेक्स कमेटी को समानान्तार तरीके से चलाने वाली बात का इल्म नही है बस क्रिकेट की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाना संघ की प्राथमिकता में रहना चाहिए। संघ को सही दिशा में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदीप गुप्ता-सचिव-यूपीसीए।