कानपुर, भूपेंद्र सिंह : फिल्म राम तेरी गंगा मैली का एक सुपरहिट गाना मुझको देखोगे जहां तक मुझको पाओगे वहां तक इस गीत की पंक्तियां उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की महाप्रबंधक पर बिल्कुल मुफीद बैठती हैं। इस गीत की पंक्तियों में अपने आपको सब जगह एक साथ सारे कार्य संपादित करने का और हर जगह अपनी उपलब्धि जताने का वर्णन किया गया है। ठीक इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के महाप्रबंधक का भी कार्यकाल देखा जा रहा है। जो क्रिकेट गतिविधियों के साथ ही प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप और उसके संचालन पर एकाधिकार दिखाना अपना शगल समझती हैं। उनके अलावा उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के क्रिकेट संचालन में किसी और का नाम या पद विमुक्त हो चुका है।
बीते कई महीनों से उत्तरर प्रदेश क्रिकेट संघ की क्रिकेट संचालन समिति के सदस्यों और पदाधिकारियों को पीछे छोड महाप्रबन्धक स्तर की अधिकारी अपनी धाक जमाए हुए हैं। फिर चाहे ग्रीनपार्क में अण्डर-25 पुरुषों का क्रिकेट मैच का आयोजन हो या फिर कमला क्लब में संघ के पदाधिकारियों की बैठक। संघ की बैठक की पूरी जिम्मेदारी भी उन्हीे के कन्धों पर देखी जा सकती है। जबकि उन्हे संघ के आला कमान केवल महाप्रबन्धक बनाकर लाए थे लेकिन वह नोडल अधिकारी से लेकर क्रिकेट आपरेशन मैनेजर के पद पर बैठे अधिकारियों को पीछे छोड अपनी उपयोगिता जाहिर करने में मशगूल रहती हैं।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की महाप्रबंधक कमला क्लब ,यूपीसीए कार्यालय ,डॉ गौर हरी सिंघानिया क्रिकेट एकेडमी, ग्रीन पार्क के साथ ही इकाना स्टेडियम में बतौर क्रिकेट प्रशासक हर जगह हर समय मौजूद मिलती हैं। यही नही अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी उनके मन मुताबिक काम नही करता तो वह उनको नौकरी से हटाने की बात कहते पीछे नही हटती। गौरतलब है कि महाप्रबन्धक का कार्य केवल कागजी कार्यवाही को अग्रसारित करने के लिए ही होता है लेकिन यूपीसीए की महाप्रबन्धक को इसका कतई भी अफसोस नही रहता।
वह कभी मैदान पर टीम के साथ फोटो खिंचाते हुए दिखायी दे रही है तो कभी एक मैत्री मैच के आयोजन की जिम्मेदारी पूरी तरह से संभाले हुए। पूर्व सचिव की नजदीकियों के चलते कोई भी कर्मचारी या अधिकारी उनके खिलाफ एक भी शब्द बोलने की हिम्मत नही जुटा पा रहा।
यूपीसीए के एक कार्यकारिणी पदाधिकारी ने उनकी कार्यशैली के साथ ही उनकी संघ में नियुक्ति पर ही सवाल खडे कर उन्होंने न छापने की शर्त पर बताया कि महाप्रबन्धक पहले से ही बीसीसीआई और यूपीसीए से खिलाडियों को मिलने वाली पेंशन का लाभ उठा रहीं है तो उन्हेे संघ से सैलरी नही दी जानी चाहिए। संघ के पदाधिकारियों को इस बात पर विचार करने के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा।