Kanpur,Bhupendra Singh : पूरा देश जहां आज रावण दहन कर खुशियां मनाएगा, वही कुछ लोग एसे भी हैं जो रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष अराधना करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही होती है। कानपुर के शिवाला में स्थित देश के एकलौते दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा अर्चना करने के लिए आते है। यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है और लोग सुबह-सुबह यहां रावण की पूजा करते हैं। दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं। परंपरा के अनुसार आज सुबह आठ बजे मंदिर के कपाट खोले गए और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया गया। इसके बाद आरती हुई। आज शाम मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिए जाएंगे।यूपी के कानपुर में दशानन मंदिर के रूप में लोकप्रिय मंदिर, विजय दशमी पर सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है।
भारत के अधिकतर राज्यों में दशहरा में दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। कहीं-कहीं लंकापति रावण के साथ उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद का भी पुतला जलाया जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां पर रावण की पूजा की जाती है। जीं हां विजय दशमी के दिन ‘सियापति राम चंद्र की जय’ के नारों के बीच कानपुर के शिवला इलाके को छोड़कर देश भर में रावण दहन किया जाता है। कानपुर में रावण को समर्पित एक बड़ा प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में इस अवसर पर ‘जय लंकेश’ और ‘लंकापति नरेश की जय हो’ के नारे लगाए जाते हैं।
यूपी के कानपुर में दशानन मंदिर के रूप में लोकप्रिय मंदिर, विजय दशमी पर सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है। इस दिन जब लोग रावण दहन के लिए खुशियां मनाते हैं वहीं कुछ लोग दशानन मंदिर में सुबह से ही रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष पूजा अराधना करने पहुंच जाते हैं।
लंकापति रावण की पूजा
बताया जाता है कि कानपुर के दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में लंकापति रावण की पूजा अर्चना होती है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मनोकामना मांगते हैं।
साथ ही ये भी परंपरा है कि दशहरे वाली सुबह आठ बजे दशानन मंदिर के कपाट खोल दिए जाते है। फिर रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद रावण की आरती होती है। फिर शाम को मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिए जाते हैं।