कानपुर/भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की टीम में बीते कई वर्षों से पूर्वांचल और मध्यान्चल की ओर से खिलाड़ियों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर ही नहीं मिल पा रहा। यूपीसीए के रडार मापी चयन प्रक्रिया में अब इन दोनों क्षेत्रों का हिस्सा बिल्कुल ही समाप्त हो गया है। प्रदेश की चयनकर्ताओं की टीम भी खिलाड़ियों को ट्रेस आउट ही नहीं कर पा रही है।
वर्तमान समय में प्रदेश की सभी आयु वर्गो की क्रिकेट टीम में पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से का पूरी तरह से दबदबा कायम है। जबकि पूर्व में गोरखपुर लखीमपुर गोंडा जैसे छोटे जिलों के खिलाड़ी भी प्रदेश की टीम का हिस्सा हुआ करते थे जो आप शायद देखने को भी नहीं मिलता। बीते कुछ साल पूर्व वाराणसी और जौनपुर के अलावा गाजीपुर आदि क्षेत्र के खिलाडियों से टीम सुसज्जित रहती थी अब टीम में शायद एक भी खिलाडी उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता मिल जाए।
गौरतलब है कि बीते कई सालों से टीम में केवल पश्चिमी क्षेत्र से आने वाले शहर के खिलाडियों को ही टीम में शामिल करने का प्रयास पूरी तरह से किया जा रहा है। उसकी भी मुख्य् वजह पूर्व सचिव के खासमखास की हर क्षेत्र में की जाने वाली पैरोकारी मानी जा रही है। अब तो टीम की कमान भी पश्चिमी हिस्से से ताल्लुक रखने वाले खिलाडी के हाथ में सौंपी जा रही है जबकि एक समय में पूर्वी क्षेत्र के इलाहाबाद से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद कैफ प्रदेश टीम की कमान संभाल रहे थे।
इसके बाद से प्रदेश की टीम की कमान पश्चिम के खिलाडी के हाथ में रह रही है फिर चाहे वो प्रियम गर्ग हो या अब करण शर्मा इनके खेल में चाहे धार वैसी न हो लेकिन ऊंची पहुंच और किसी की आखों के तारे होने के चलते उन्हें इस सम्मान से नवाजे जाने में कोई कोताही नही बरती जा रही। अण्डर-14 के क्रिकेटरों की टीम का चयन हो या फिर रणजी जैसी टीम। क्रिकेटरों कों सान्तवना देने के लिए सभी जिलों से आए खिलाडियों को अभ्यास मैच खिला कर केवल खानापूर्ति कर दी जाती है और पश्चिमी हिस्से से आने वाले खिलाडियों को टीम में तरजीह दी जाती है।
टीम का हिस्सा वही बन पाता है जो खासमखास को समझ कर आता हो और वह भी पश्चिमी हिस्से से ताल्लुक रखता हो। इस समय लखनऊ में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में लखनऊ व कानपुर और इलाहाबाद से एक दो खिलाडी भले ही शामिल हों लेकिन बहुतायत संख्या्बल केवल सहारनुपर, मेरठ,गाजियाबाद आदि क्षेत्रों से आए हुए खिलाडियों की ही देखी जा सकती है। इसके लिए यूपीसीए अपने ही मैदान में की जाने वाली चयन प्रक्रिया को गोपनीय बनाए रखता है।
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खेल विभाग के क्रीड़ाधिकारी सुनील सिंह ने बताया कि उत्तंर प्रदेश क्रिकेट संघ की टीमों में अब पूर्वान्चल और मध्यान्चल की हिस्सेदारी कम होती जा रही है। बीते कुछ सालों से टीम में इधर क्षेत्रों के खिलाडियों को नजरअन्दाज करने की प्रक्रिया को बल मिला है जिससे वहां के खिलाडियों का मनोबल टूट सा रहा है। संघ को चाहिए कि खिलाडियों को चुनने में क्षेत्रवाद न हो।