कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने कानूनी दांवपेच पर ही एक साल के भीतर ही 80 लाख रुपए लुटा दिए। यूपीसीए ने इस लुटाई को वार्षिक आम सभा के दौरान आय-व्यय के ब्यौरे पर दर्शाया भी है। कानून के जानकारों के मुताबिक कानूनी व्यवस्थाओ को संभालने के लिए इतनी बड़ी रकम को केवल फीस के तौर पर देखा नहीं जा सकता है।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में मचे घमासान को रोकने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का सहारा सत्ता दल के लोग लेने को मजबूर रहे। इसके चलते सत्ता दल के नुमाइंदों ने कानूनी नोटिस पर ही लाखों रुपये खर्च कर अपने को बचाने का काम किया है। यही नहीं उन्होंने किसी निजी संस्था को लगभग एक करोड़ 25 लाख का कर्ज भी दे रखा है जिसका ब्यौरा कागजों में पेश ही नही किया है लेकिन उस मद को दर्शाया अवश्य गया है और लखनऊ में अगले महीने प्रस्तावित श्रीलंका के खिलाफ खेले जाने वाले टी-20 मुकाबले के लिए भी 50 लाख की रकम अग्रिम धनराशि का ब्यौरा पेश कर रखा है।
प्रदेश के क्रिकेट संघ पर पूर्व सचिव के ही कारखास का कब्जा रहे इसलिए लगभग एक दर्जन अधिवक्ताओं की टीम प्रदेश संघ में मचे घमासान के निराकरण के लिए उतार दी थी जिसकी फीस भी लाखों में भरपाई के रूप में उनको दी गयी है। यही नहीं वह हाईकोर्ट में सत्ता पर काबिज लोगों को जीत दिलाने में भी भरसक कोशिश कर रही इसके लिए यूपीसीए उनको मुंहमांगी फीस भी अदा कर रही है। अधिवक्ता ओं की टीम के एक–एक सदस्य के लिए वह लाखों रुपए केवल फीस के तौर पर ही दिए जा रहें है। वर्तमान समय में पूर्व सचिव की टीम सत्ता को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास भी कर रही है।
गौरतलब है कि एजीएम समेत चुनाव और लोढा समिति की सिफारिशों को सही तरीके से पालन न करने और एपेक्स कमेटी को हर मामले से दूर रखने को लेकर उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ कुछ सदस्य खासे नाराज चल रहे हैं। सत्ता पर काबिज टीम पूरी तरह से विरोधी खेमे को मिटाने में जुटी है जिसके लिए लाखों रुपए खर्च कर उसने अधिवक्ताओं की ही टीम बना डाली। अधिवक्ताओं की पूरी टीम हाईकोर्ट में जमी हुयी जिसका रहना- खाना- पीना सब प्रदेश क्र्रिकेट संघ अपने दम पर झेल रहा है।
यह भी पढ़ें..
इस संबंध में यूपीसीए के एडिशनल नोडल अधिकारी आशु मेहरोत्रा ने कहा कि यूपीसीए में चल रहे विवाद का निपटारा अब हाईकोर्ट के माध्यम से होगा संघ के वर्तमान पदाधिकारियों को पूरा भरोसा है कि अधिवक्ताओं की ये टीम उनको जीत दिलाएगी । इसके लिए फिर चाहे संघ को लाखों खर्च करने पडे या करोड़ों।