प्रयागराज/बीपी प्रतिनिधि। केशव प्रसाद मौर्य राजनीति की मुख्य धारा से जुड़े तो भाजपा के टिकट पर प्रयागराज के शहर पश्चिमी विधानसभा से बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। यहाँ उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद अतीक के भाई खालिद अजीम के खिलाफ भी चुनाव लड़े। दोबारा शिकस्त मिली पर हिम्मत नही हारे।
2012 में मिली विजयश्री : वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सिराथू विधानसभा सीट समान्य घोषित हुई तो भाजपा के टिकट पर केशव प्रसाद मौर्य ने फिर भाग्य आजमाया। प्रदेश मे सपा की लहर के बावजूद वह जीत हासिल करने में सफल हुए। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद की फूलपुर सीट से भाजपा ने टिकट दिया।
उन्होंने तीन लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की और देश की संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वर्ष 2016 में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपते हुये प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
2017 में भाजपा को बहुमत दिलाने में निभाई बड़ी भूमिका : केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके कौशल को देखते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री का दायित्व दिया गया। अब भी वह इस जिम्मेदारी को वह निभा रहे हैं।
शीतला प्रसाद का कटा टिकट : शीतला प्रसाद 2017 में भरतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़़ कर पहली बार विधायक बने थे। इन्होंंने समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता वाचस्पति को हराया था। 2017 में सिराथू में कुल 40.07 प्रतिशत वोट पड़े। शीतला प्रसाद ने समाजवादी पार्टी के वाचस्पति को 26203 वोटों के अंतर से हराया था।
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मां का आशीष लेने आते रहते हैं गृह जनपद : अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य गृह जनपद कौशांबी में अपनी माँ धनपति देवी का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं। पिता श्याम लाल मौर्या का निधन कुछ वर्षों पूर्व हो चुका है। परिवार में मां के अतिरिक्त भाई सुखलाल मौर्य, राजेंद्र मौर्य, बहन सुनीता देवी, आशा देवी, कमलेश देवी, पत्नी राजकुमारी मौर्य और पुत्र योगेश मौर्य तथा हितेश मौर्य हैं।