एमओयू के बाद से खेल विभाग के पास नही हैं ग्रीनपार्क में अन्तर्राष्ट्रीय मैचों का कोई रिकार्ड
कानपुर, भूपेंद्र सिंह। नगर की खेल विभाग की इकाई और उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के कुछ चुनिंदा कर्मचारी व अधिकारियों की आपसी मिलीभगत ने प्रदेश सरकार को करोडों के राजस्व की हानि पहुंचाई है। दोनों के बीच 7 साल पहले हुए अनुबन्ध के बाद से खेल विभाग के पास संघ की ओर से कराए गए अन्तर्राष्ट्रीय मैचों का कोई ब्यौरा ही नही मौजूद है। जिससे यूपीसीए ने कब और किस मैच की धनराशि खेल विभाग के पास जमा करवायी ये रहस्य बना हुआ है। आरटीआई के खुलासे के बाद दोनों विभाग आपस में ही तय नही कर पा रहे हैं कि करोडों के राजस्व की क्षतिपूर्ति कैसे की जाएगी।
प्रदेश के खेल विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के पास कई अन्तर्राष्ट्रीय मैचों का कोई रिकार्ड ही पास में नही है। ये जानकारी एक जनसूचना शिकायती पत्र के जवाब में स्वयं खेल विभाग के जनसूचना अधिकारी ने स्वीकार किया है।
बीते साल से खेल विभाग और उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों के बीच चल रहे इस रहस्मयी खेल के चलते रिकार्ड दर्ज नही कराया जा सका है। इस खेल में खेल विभाग और यूपीसीए के कई सदस्यों की मिलीभगत से विभाग को करोडों का चूना लगना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि यूपीसीए और प्रदेश की अखिलेश सरकार के बीच साल 2015 के अप्रैल महीने में ग्रीनपार्क को लेकर लीज में लेने के लिए अनुबन्ध किया गया था। जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय मैचों के आयोजन से लेकर घरेलू क्रिकेट की श्रृंखलाओं को आयोजित करना था। अब साल 2015 के अक्टूबर महीने में ही दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय मैच आयोजित किया गया इसके बाद कई टेस्ट और एक टी टवेन्टी मैच के अलावा चार आईपीएल के मैच आयोजित किए गए जोकि बीसीसीआई और यूपीसीए के रिकार्ड में पंजीकृत हैं।
गौरतलब है कि दोनों के बीच साल 2015 में हुए अनुबन्ध में साफ तौर पर टेस्ट व एक दिवसीय समेत टी-टवेन्टी मैचों के लिए 15-15 लाख की धनराशि खेल विभाग के खाते में जमा करवानी थी। जबकि आईपीएल मैचों के लिए 25 लाख की धनराशि आवन्टित की गयी थी। अब चूंकि खेल विभाग के पास 2015 से 2022 तक ग्रीनपार्क में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय मैचों का रिकार्ड ही नही उपलब्ध है तो जाहिर सी बात है कि यूपीसीए ने खेल विभाग के पास धनराशि ही जमा नही करवायी होगी।बतातें चलें कि साल 15 से अब तक ग्रीनपार्क में चार आईपीएल, एक अन्तर्राष्ट्रीय टी-टवेन्टी दो एक दिवसीय समेत दो टेस्ट मैच भी आयोजित किए जा चुके है।
अब इतने सारे मैचों की धनराशि खेल विभाग के पास ही नही पहुंची या फिर यूपीसीए ने ही घोटाला किया अभी तक विभागीय अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं जिससे सरकार को कम से कम करोडों के राजस्व की हानि हो चुकी है।
वर्जन-खेल विभाग के अधिकारियों के पास मैचों का रिकार्ड नही है ये विभाग की लापरवाही दर्शाती है। यूपीसीए ने खेल विभाग के पास धनराशि समय-समय पर ही जमा करवायी है। अब ये मामला खेल विभाग की अधिकारी के समक्ष है। प्रदीप गुप्ता-सचिव-यूपीसीए।