लखनऊ, बीपी डेस्क। उत्तर प्रदेश के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्रा ’दयालु’ ने आज लखनऊ स्थित राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधि निर्माणशाला की सभागार कक्ष में क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारियों के साथ विभागीय समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि विभाग का यह प्रयास है कि जल्द से जल्द सभी विभागीय अस्पताल अपने खुद की जमीन पर उपलब्ध हों। उन्होंने सभी डी0ओ0 से कहा कि वह अपने प्रयासों से जिलाधिकारी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से वार्ता करके जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करें ताकि यहां से अस्पताल के भवन निर्माण हेतु सभी आवश्यक कार्यवाही की जा सके।
श्री दयालु ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आयुष से जोड़ने के लिए ग्रामीण इलाकों में कैम्प लगायें। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में लोगों का विश्वास आयुष के प्रति बढ़ा है। जरूरत इस बात की है कि हमारे चिकित्सक लोगों के पास जायें और उन्हें आयुष के लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दें और उन्हें घरेलू उपचारों से ठीक होने के बारे में बतायें।
आयुष मंत्री ने कहा कि नकली दवाओं पर रोक लगे, इसके लिए सभी चिकित्सकों को निर्देशित करें कि वह नकली दवाआंे के खिलाफ लगातार जांच करें एवं प्रत्येक जनपद से 02 सैम्पल लेकर लैब टेस्टिंग के लिए मुख्यालय एवं पीलीभीत स्थित सेंटर पर भेजें। उन्होंने कहा कि बहुत सी नकली दवायें मार्केट में बिक रही हैं। इस पर नकेल कसना जरूरी है। यह नकली दवायें लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं।
श्री दयालु ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह सुनिश्चित करें कि अस्पतालों में स्टाफ समय से और नियमित रूप से आयें। उन्होंने कहा कि मुख्यालय से चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफों का मॉनीटरिंग हो रही है यदि कोई भी स्टाफ बिना कारण बताये अनुपस्थित रहता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मरीजों के बैठने की व्यवस्था एवं साफ सफाई उचित रहे एवं उनके बैठने की जगह पर पंखे, कुर्सी, लाइट के साथ-साथ क्रियाशील शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित करें। प्रदेश सरकार प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री दयालु ने कहा कि सभी डीओ सुनिश्चित करें कि जहां पर दवाओं की जितनी मात्रा की खपत है उसी हिसाब से दवाओं के लिए मुख्यालय पत्र लिखें। ऐसी दवाओं की मांग पत्र न भेजें जिसकी आवश्यकता उनके डिस्पेन्सरी पर नहीं है। उन्होंने कहा कि दवाओं का शत-प्रतिशत उपयोग प्रदेश के लोगों के लिए होना चाहिए। किसी भी हालात में दवाओं का स्टाक नहीं होना चाहिए।बैठक के दौरान निदेशक आयुर्वेद सेवायें प्रो एसएन सिंह, निदेशक पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन पीसी सक्सेना सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।