DESK : Akhilesh Yadav ने BSP और Mayawati पर निशाना साधते हुए कहा कि वो लोग भी आज समाजवादी पार्टी से जुड़ रहे हैं जो बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के सपने को साकार करना चाहते हैं. शोषित, वंचित, पिछड़े और दलित जिन्हें आजादी के बाद अधिकार और सम्मान नहीं मिला, वे भी आज समाजवादियों की तरफ देख रहे हैं. समाजवादियों की ये कोशिश होनी चाहिए कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को साथ जोड़कर हम लोग संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम करें.
वहीं अखिलेश यादव के वार पर बीएसपी की तरफ से भी पलटवार किया गया है. बीएसपी की अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर इसका जवाब दिया. मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा कि समाजवादी पार्टी द्वारा अपने चाल, चरित्र, चेहरा को ’अम्बेडकरवादी’ दिखाने का प्रयास वैसा ही ढोंग, नाटक और छलावा है जैसा कि वोटों के स्वार्थ की ख़ातिर अन्य पार्टियां भी अक्सर करती रहती हैं. इनका दलित और पिछड़ा वर्ग प्रेम मुंह में राम बग़ल में छुरी को ही चरितार्थ करता है.
मायावती ने अपने ट्वीट के जरिए निशाना साधते हुए लिखा कि वास्तव में परमपूज्य डाक्टर भीमराव अम्बेडकर के संवैधानिक और मानवतावादी आदर्शों को पूरा करके देश के करोड़ों गरीबों, दलितों, पिछड़ों, उपेक्षितों आदि का हित, कल्याण और उत्थान करने वाली कोई भी पार्टी और सरकार नहीं है और सपा का तो पूरा इतिहास ही डाक्टर अम्बेडकर और बहुजन विरोधी रहा है.
मायावती ने तीखे पलटवार में एसपी के शासनकाल पर भी सवाल उठाए. मायावती ने लिखा कि बाबा साहेब डाक्टर अम्बेडकर के अनुयाइयों की घोर उपेक्षा हुई और उनपर अन्याय-अत्याचार होते रहे. महापुरुषों की स्मृति में बीएसपी सरकार द्वारा स्थापित नए जिले, विश्वविद्यालय, भव्य पार्क आदि के नाम भी जातिवादी द्वेष के कारण बदल दिए गए. क्या यही है सपा का डाक्टर अम्बेडकर प्रेम?