DESK : लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में हर दल अब अपनी रणनीतियों के हिसाब से काम करने लगा है. वहीं समाजवादी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच एक खास तबके और समुदाय को लेकर बजानबाजी का दौर जारी है. जबकि इसी बीच बीजेपी (BJP) भी अपने प्लान के अनुसार इस खास समुदाय को अपने पाले में लाने की फिराक में लगी हुई है.
वहीं यूपी में अल्पसंख्यक और मुस्लिम को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस के जुबानी जंग तेज है. एक ओर कांग्रेस ने राज्य में बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बना कर राज्य में दलितों के बीच सियासी पर अपनी दावेदारी पेश की है. वहीं सपा भी इस वर्ग को खास तौर पर टारगेट कर रही है. दूसरी दलित वोट बैंक बसपा का कोर वोटर रहा है. जिसके वजह से सपा और कांग्रेस की रणनीति ने बसपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.
इसके अलावा राज्य में मुस्लिमों का भी एक बड़ा वोट बैंक है. इसको लेकर बीते दिनों तीनों ही पार्टियों के बीच ट्विटर पर सियासी घमासान देखने को मिला. आजम खान को सजा और दो मुस्लिम नेताओं के बीएसपी में शामिल होने के बाद मायावती ने सपा पर जमकर निशाना साधा. वहीं बसपा प्रमुख ने एक राजस्थान के मामले को लेकर कांग्रेस सरकार को भी आड़े हाथों लिया.
हालांकि इन सब घटनों के बीच एक नई तस्वीर बीजेपी के लिए भी बन रही है. राज्य में बीजेपी लगातार अल्पसंख्याकों और पसमांदा मुसलमानों को रिझाने में लगी है. इसके लिए बीजेपी अपनी सरकार की योजनाओं के जरिए उनके बीच अपनी पैठ बनाने में लगी है. राज्य में पार्टी इन दोनों ही समाज के लिए अलग-अलग सम्मेलन भी किए, इस दौरान खास तौर पर उनसे सरकार की योजना के लाभ पर चर्चा की. ऐसे में तीन विपक्षी दलों की आपसी लड़ाई को बीजेपी अवसर बनाने में लगी हुई है.