कानपुर में सरकारी कर्मचारी से मारपीट और जानमाल की धमकी देने के 32 साल पुराने मुकदमे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री राकेश सचान बाइज्जत बरी हो गए हैं। गवाहों के बयान से मुकर जाने और कोई ठोस सबूत न होने पर अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक यादव ने राकेश को दोषमुक्त करार दिया है।
बता दें कि वर्ष 1990 में केडीए अफसर जीडी दास ने ग्वालटोली थाने में राकेश सचान व अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया था कि केडीए के हिंदी भवन पर कब्जा करने की नीयत से राकेश अपने साथियों के साथ पहुंचे और भवन को अपना कार्यालय बताकर वहां रखा सामान फेंकने लगे।
विरोध पर सरकारी कर्मचारियों से गाली-गलौज व मारपीट की और जानमाल की धमकी भी दी। विवेचना के बाद राकेश सचान के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट भेजी गई थी।
राकेश के अधिवक्ता कपिलदीप सचान ने बताया कि आरोप तय होने के बाद अभियोजन की ओर से जो गवाह पेश किए गए। उन्होंने राकेश पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था। मारपीट की कोई घटना न होने की बात कोर्ट में कही थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही वादी मुकदमा जीडी दास की मौत हो गई थी। कोर्ट में उनके बयान दर्ज नहीं हो सके थे। अभियोजन के पास घटना को साबित करने के लिए न तो कोई गवाह था और न ही ठोस सबूत। राजनीतिक रंजिश के चलते राकेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस की कहानी कोर्ट में झूठी साबित हुई। सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने मंत्री जी को दोषमुक्त करार दिया है।