यूपीसीए की चयन प्रक्रिया में घांधली के खिलाफ एक्शन में आ रहे खिलाडी

उत्तर प्रदेश कानपुर

कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की चयन प्रक्रिया के खिलाफ अब खिलाडी भी लामबन्द होने लगे हैं। संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ पैसे लेकर सेलेक्शन करने के आरोप अब खिलाडी ही लगाने को आतुर हो रहे हैं। चयन प्रक्रिया से आहत कई खिलाडियों ने शिकायती पत्र भेजकर प्रदेश की क्रिकेट ग‍तिविधियों को न्यायपूर्ण व पारदर्शी बनाने की मांग उठाना भी शुरु कर दिया है।खिलाडियों का यह मानना है कि जब 24 करोड की आबादी वाले प्रदेश में संघ की कमान को बाहर प्रदेश में बैठा शख्स चला रहाा है तो खिलाडियों को इन्साफ मिलना बेमानी है।
यूपी प्लेयर्स एससोसिएशन ने बिन्दुवार तरीके से नए खिलाडियों के प्रति यूपीसीए को लगभग चुनौती दे डाली है । यूपी प्लेयर्स एसोसिएशन ने निम्नलिखित बिन्दुओं की शिकायत बोर्ड में दर्ज करवायी है। जिसमें सबसे प्रमुख पैसे और पावर का जिक्र कर चुनौती पेश की है।

1-अपने राज्य की टीम का प्रतिनिधित्व करना चाहते है तो आपके पास सिर्फ क्रिकेट का टैलेंट नही पैसे से भी मजबूत होना पड़ेगा।
2-यूपी क्रिकेट में चयन का प्रोसेस रन करो विकेट लो और सेलेक्शन लो ये नही है बल्कि इसके विपरीत है पैसे दो और सेलेक्शन लो।
3-यदि आपके पास है 12,15 लाख है तो टीम में इन नही तो ऑउट गरीब घर का लड़का जिसने किसी तरह से पैसे सेव करके किटबैग, बैट ख़रीदा हो वो कैसे 15 लाख देने में सक्षम होगा वो कैसे खेलेगा यूपी में क्रिकेट।
4-माँ-बाप से लड़कर दुनिया के तानों को सुनकर वो गांव से घर से बाहर निकलता है कि पर वो इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ होता है कि क्रिकेट में सिलेक्शन के लिए टैलेंट ही नही पैसे के ज़ानिब भी बहुत मजबूत होना पड़ेगा। इस भ्रष्ट सिस्टम से पीड़ित मेहनती गरीब लड़कों की दर्द कौन समझेगा? इनकी लाचारी क्यों किसी को नही दिखती ?
5-खिलाड़ी हर साल ट्रायल में जाते है हर बार उन्हें कोई न कमी बताकर बाहर कर दिया जाता है आख़िर सिस्टम की मार को झेलते -2 उम्र निकल जाती है। आख़िर एक दिन थक हार के सिस्टम के भ्रष्टाचार के सामने उसके सपने उसके जुनून दम तोड़ ही देते है।
6-यूपीसीए में शीर्ष पर आसीन भ्रष्ट लोगों की वजह से आज यूपी ने अच्छे अच्छे टैलेंट खो दिए जो दूसरे स्टेट में जाके अच्छा कर रहे है
यशस्वी जायसवाल मोहम्मद शमी शिवम दुबे सरफ़राज़ खान प्रभात मौर्य राहुल त्रिपाठी कुमार कार्तिकेय प्रवीण दुबे जैसे बहुत सारे ऐसे नाम है जिनको कभी यूपी ने कभी तवज्जों नही दी आज वही दूसरे राज्य के लिए अच्छा कर रहे हैं देश के लिए खेल रहे है। नाकामी यूपी क्रिकेट की।
7- आख़िर क्या कारण है यूपी क्रिकेट में शीर्ष पर बैठे लोग क्यों नही चाहते कि यूपी क्रिकेट आगे बढ़े यहाँ के क्रिकेटरों को पर्याप्त मौक़े मिले। अगर राज्य में 3 टीम बनती है तो यहाँ के खिलाड़ियो के लिए इस राज्य के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। महाराष्ट्र और गुजरात जिसकी जनसंख्या 12 और 7 करोड़ है वहाँ पर 3 टीमें खेलती है 24 करोड़ की जनसँख्या वाले राज्य में क्यों नही।
जो अपने राज्य के लोगो के हित के बारे में नही सोच सकता जो यहां के खिलाड़ियों के दर्द को नही समझ सकता जो नही चाहता यूपी क्रिकेट का भला हो वो राजद्रोही है ऐसे लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाए और उनसे पूछा जाए अगर पूर्वाचल क्रिकेट एसोसिएशन बन रहा था क्यों वो इसकी राह में रोड़ा डाल रहे है वो क्यों नही चाहते राज्य से ज़्यादा से ज्यादा खिलाड़ी देश के लिए खेले प्रदेश का नाम रोशन करे।