महिलाओं को सम्मान : यूपी में बनेंगे एक हजार करोड़ रुपये के गुलाबी शौचालय

उत्तर प्रदेश लखनऊ

स्टेट डेस्क/लखनऊ। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले जारी किए लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 पर काम शुरू कर दिया है। योगी सरकार दोबारा सत्ता में आने पर उत्तर प्रदेश के सभी नगर निगमों और नगर पालिकाओं से पिंक टॉयलेट बनवाने का प्रस्ताव सात दिन में मांगा गया है। एक हजार करोड़ रुपए से पिंक टॉयलेट बनाने का वादा किया गया था। सभी सार्वजनिक जगहों पर एक पिंक टॉयलेट अनिवार्य किया गया है।

यहां बनाए जाएंगे टॉयलेट स्वच्छ भारत मिशन-2.0 के तहत कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, वाराणसी, मेरठ, अलीगढ़, प्रयागराज, गोरखपुर समेत पूरे प्रदेश में पिंक टॉयलेट बनाए गए थे। इन पर 500 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च की गई थी। राज्य मिशन निदेशक अमित सिंह बंसल के मुताबिक, सार्वजनिक जगहों, मार्केट, बस अड्‌डे, रेलवे स्टेशन, महिला स्कूल और कॉलेज या उन रास्तों पर जहां महिलाओं का आवागमन अधिक है। ऐसे स्थानों को चिह्नित कर वहां पिंक टॉयलेट जरूर बनाए जाएंगे।

महिलाएं महसूस करती हैं असहज : सार्वजनिक जगहों पर कई बार महिलाओं को खुले में ही टॉयलेट करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में उनको काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। इसके अलावा कई बार रात के अंधेरे में महिलाओं को टॉयलेट करने में असुरक्षा महसूस होती है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर पिंक टॉयलेट का निर्माण किया जाएगा। मिशन शक्ति और सेफ सिटी योजना के तहत भी पिंक टॉयलेट को शामिल किया गया था।

थानों में भी बनेंगे पिंक टॉयलेट योगी सरकार के पहले कार्यकाल की तरह इस बार भी थानों में पिंक टॉयलेट जहां छूट गए हैं, वहां बनाए जाएंगे। इसमें सेनेटरी नैपकिन से लेकर बच्चों को दूध पिलाने के लिए फीडिंग सेंटर भी बनाया जाएगा। हर एक पिंक टॉयलेट में चेजिंग रूम भी बनाया जाएगा। वहीं, हर एक पिंक टॉयलेट की जीआईएस मैपिंग भी कराई जाएगी। इससे पिंक टॉयलेट को ऑनलाइन भी सर्च किया जा सके।

पहला गुलाबी शौचालय गाजियाबाद शहर में बनाया गया था : प्रदेश में महिलाओं के लिए अलग पिंक टॉयलेट बनाने की शुरुआत गाजियाबाद से हुई थी। यहां 2017 में पहला पिंक टॉयलेट बना था। इसके बाद कानपुर में 25 अक्टूबर, 2017 को नवीन मार्केट में पहला 10 सीट का कम्यूनिटी पिंक टॉयलेट बनाया गया था। प्रमुख शहरों में पिंक टॉयलेट की स्थिति :- नोएडा-84, कानपुर-74, लखनऊ-74, बरेली-15, वाराणसी-88, प्रयागराज-47

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