UP : नई बीएस-6 बसों में होगी तेल के दो टैंक, मात्रा से कम हुआ डीजल तो थम जाएंगे पहिए

उत्तर प्रदेश

DESK : यूपी रोडवेज के बेड़े में शामिल होने वाली बीएस-6 माडल की बसें बेहद सुविधाजनक हैं। साथ ही डीजल चालित इन बसों से निकलने वाली जहरीली गैस नाइट्रोजन, कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर का उत्सर्जन खत्म कर देगा। मतलब यह हुआ कि इन बसों से वायुमंडल में प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। इन बसों में एक नहीं अब दो टैंक होंगे। एक में ईधन यानी कि डीजल और दूसरे में डीजल एक्जास्ट फ्यूल (डीईएफ) होगा। डीईएफ टैंक की क्षमता 30 लीटर की होगी। इस टैंक में दस लीटर से जैसे ही डीईएफ कम होगा तो बसों के पहिए थम जाएंगे। पचास फीसदी डीईएफ होने पर बसों की गति कम होने लगेगी। एक तरह से यह चालक को चेतावनी देगा कि डीईएफ कम हो रहा है, इसे भरवा लें। डीजल एक्जास्ट फ्यूल ईधन खपत में तीन से चार फीसदी खर्च होगा। भविष्य में रोडवेज के बेड़े में बीएस-6 माडल की बसों की ही चेसिस बनेंगी और इन माडल की बसें ही बेड़े की शोभा बढ़ाएंगी।

कानपुर से दिल्ली के सफर में 250 रुपये का डीईएफ खर्च होगा
केंद्रीय कार्यशाला रावतपुर के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि सौ लीटर डीजल खर्च पर यूरिया का घोल चार लीटर खर्च होगा। एक लीटर यूरिया घोल की कीमत 60 रुपये है। कानपुर से दिल्ली के सफर में बसों में लगभग सौ लीटर डीजल खर्च होता है। इसका मतलब कानपुर से दिल्ली तक के सफर में 240 रुपये डीईएफ पर खर्च होंगे। आने-जाने में पांच सौ रुपये का डीईएफ खर्च होगा। लगभग पचास पैसे प्रति किमी. के खर्च से वायु मंडल प्रदूषित नहीं होगा।

डीईएफ का मतलब यूरिया का घोल
रोडवेज के सेवा प्रबंधक तुलाराम ने बताया कि डीजल एक्जास्ट फ्यूल यानी कि यूरिया का घोल है । इस फ्यूल में 67.5 फीसदी पानी तो 32.5 फीसदी यूरिया रहती है। इस टंकी से एक पाइप साइलेंसर को जाता है। इंजन स्टार्ट रहने पर इस पाइप से स्प्रे होता रहता है। यूरिया घोल के स्प्रे से बसों के साइलेंसर से निकलने वाली जहरीली गैस जैसे कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड.सल्फर का उत्सर्जन खत्म कर देगी। इसके बाद साइलेंसर से निकलने वाला धुआं पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगा।

150 चेसिस मंगाईं, कानपुर में तैयार की जाएंगी
बीएस-6 माडल की दो बसों की चेसिसों में से एक राम मनोहर लोहिया कार्यशाला विकासनगर तो दूसरी केंद्रीय कार्यशाला रावतपुर में तैयार की जा चुकी है। इन बसों को परिवहन राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह ने हरी झंडी दिखा रवाना किया था। इसमें से एक बस बांदा तो दूसरी प्रतापगढ़ डिपो भेज दी गई है। जल्द ही कार्यशालाओं में 150 बीएस-6 माडल की बसों की चेसिस बनने के लिए कानपुर आएंगी।

अकेले कानपुर की दो वर्कशाप ही बनाने में सक्षम
केंद्रीय कार्यशाला रावतपुर के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि देश भर के परिवहन निगम की किसी भी वर्कशाप में बीएस-6 माडल की बसों की चेसिस बनाने के लिए अधिकृत नहीं है। यूपी रोडवेज की कानपुर स्थित दोनों कार्यशालाओं को पुणे से इन आधुनिक बसों की चेसिसें बनाने का अधिकार पिछले दिनों ही मिला हैं। इस वजह से कानपुर की कार्यशालाओं में नई बसें नहीं बन पा रही थीं। कानपुर को छोड़ देश भर के किसी भी परिवहन निगम की किसी भी कार्यशाला को यह सौभाग्य नहीं मिला है।