Vishal Agarwal: यूपी विधानसभा में 58 साल बाद शुक्रवार को अदालत लगी। कटघरे में 6 पुलिसकर्मी पेश हुए। विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के दोषी इन सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा अध्यक्ष ने एक दिन की सजा सुनाई है। यह सजा 3 मार्च रात 12 बजे तक होगी। इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में बनी सेल के लॉकअप में रखा जाएगा। इसके बाद मार्शल सभी दोषी पुलिसकर्मियों को सदन से ले गए। इससे पहले, विधानसभा में 1996 में अदालत लगी थी।
शुक्रवार को सदन में लगी अदालत के दौरान सतीश महाना ने सभी दलों के नेताओं से इस मामले में पक्ष पूछा। ज्यादातर ने अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया। फिर दोषी पुलिसकर्मियों को अपनी सफाई में बोलने का मौका दिया। इसमें दोषी सीओ अब्दुल समद ने अपनी सभी की तरफ से सदन से माफी मांगी। कहा कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। इससे पहले अखिलेश से जब सदन के बाहर जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह गलत परंपरा है।
दरअसल, विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना यह मामला 2004 का है। तब सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। कानपुर में बिजली कटौती के विरोध में सतीश महाना (जो अब विधानसभा अध्यक्ष हैं) कानपुर में धरने पर बैठे थे। उनके साथ तब के स्थानीय भाजपा विधायक और कार्यकर्ता थे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बीजेपी विधायक और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इसमें तत्कालीन विधानसभा सदस्य सलिल विश्नोई की टांग टूटी थी। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गई थी।
बतातें चलें कि सलिल ने विधानसभा अध्यक्ष से 25 अक्तूबर 2004 को शिकायत की थी कि 15 सितंबर 2004 को वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ बिजली कटौती के खिलाफ डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे। तभी वहां तैनात सीओ अब्दुल समद ने अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर उन्हें व उनके साथियों को लाठी से जमकर पीटा। भद्दी-भद्दी गालियां भी दीं। यहां तक कहा- मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है। मुलायम सरकार में भाजपा ने यह मामला सदन में उठाते हुए जोरदार हंगामा किया था। सलिल भी स्ट्रेचर पर सदन पहुंचे थे।
इन पुलिसकर्मियों को होना होगा पेश
सीओ अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह शामिल हैं। ये सभी उस वक्त शहर के ही विभिन्न थानों में तैनात थे।