यूपीसीए ने बना डाला लोढ़ा समिति की सिफारिशों का मजाक

Local news उत्तर प्रदेश कानपुर स्पोर्ट्स

कानपुर/भूपेंद्र सिंह। भारतीय क्रिकेट को नियमितताओं के तहत चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से साल 2017 में लागू की गयी लोढ़ा समिति की सिफारिशों को प्रदेश संघ के सदस्यों ने मजाक बनाकर रख दिया है। संघ के सदस्यों को सिफारिशें न मानने पर जुर्माना और सजा पाए जाने का खौफ भी शायद ही हो और ऐसा इसलिए भी संभव है कि हाईकमान के तार न्यायिक प्रक्रिया से ताल्लुक रखने वाले सदस्यों से जुडे हुए हैं।

प्रदेश क्रिकेट संघ में चल रहे आपसी मतभेद और तनातनी के बीच एपेक्स कमेटी के तमाम सदस्य आला अधिकारियों के हठधर्मी रवैये से हतप्रभ है कि संघ के निर्णयों में कमेटी की बिना अंतिम मुहर लगे ही सभी प्रकार के आयोजन बराबर किए ही जा रहे है। गौरतलब है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को देश भर के क्रिकेट संघों ने अपना लिया है और उसी के बनाए नियमों के तहत क्रिकेट से जुडे आयोजनों पर कार्य किया जा रहा है फिर वो चाहे महाराष्‍ट्र जैसा बडा राज्य का संघ हो या फिर त्रिपुरा जैसा छोटा राज्य।

अब प्रदेश का संघ ही उनकी सिफारिशों को पूरी तरह से मानने को तैयार दिखायी नही दे रहा जबकि कागजों पर वह पूरी तरह से अमल करने का दम भर रहा है। प्रदेश के क्रिकेट संघ के भीतर चल रहे घमासान से बातें निकलकर सामने आ रही है कि एपेक्सं कमेटी की बैठकों के बिना ही क्रिकेट से जुडे आयोजनों को संचालित किया जा रहा है जबकि लोढ़ा समिति की सिफारिशों में साफ तौर पर इंगित है कि मैच या फिर एजीएम और क्रिकेट से जुड़ी गतिविधियों का संचालन केवल एपेक्स कमेटी के सदस्यों के अंतिम मुहर के बाद ही किया जा सकता है।

प्रदेश क्रिकेट संघ ने बीते सत्र की शुरुआत से टीमों की चयन प्रक्रिया से लेकर नवम्बर में भारत-न्यूजीलैण्ड टेस्ट मैच और हाल ही में लखनऊ में आयोजित भारत-श्रीलंका टी-टवेन्टी मुकाबले के लिए भी एपेक्स कमेटी की बैठक के बिना ही आयोजित करा लिया। इसकी आपत्ति भी कुछ सदस्यों ने बीसीसीआई में भी दर्ज करवायी है। प्रदेश क्रिकेट संघ लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मानने में पारदर्शिता बरतते दिखायी भी नही दे रहा है वह कमेटी की बैठकों में लिए गए निर्णयों के बिना ही धड़ाधड़ क्रिकेट की गतिविधियों को अंजाम देने में मशगूल दिखायी दे रहा है।

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वहीं यूपीसीए के सचिव प्रदीप गुप्ता ने कहा कि प्रदेश का क्रिकेट संघ लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन पूरी तरह से कर रहा है। ये बात अलग है कि‍ एपेक्स कमेटी के नाराज सदस्यों को बैठकों में बुलाया नहीं जा रहा है। क्रिकेट की गतिविधियों को बैठकों के चलते रोका नहीं जा सकता, नाराजगी दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।