कानपुर/भूपेंद्र सिंह। अपने कैरियर के अंतिम पड़ाव को पार वाले उत्तर प्रदेश के गुमनाम क्रिकेटरों की टीम में वापसी किसी भी क्रिकेटर के गले नहीं उतर रही है। उत्तर प्रदेश की टीम का हिस्सा रह चुके सहारनपुर के दो पूर्व खिलड़ियों की एक बार फिर से टीम में वापसी हो गयी है। यही नहीं इनके साथ एक और समर्थवान खिलाड़ी की टीम में वापसी के लिए सहारनपुर–दिल्ली मेल का खासा योगदान माना जा रहा है।
ये दोनो ही खिलाडी विशेष रूप से सहारनपुर से ताल्लुक रखते हैं, जिन पर संघ के पूर्व सचिव के खासमखास की खास मेहरबानी है। मजे की बात तो ये है कि दोनों ही खिलाडियों ने अब तक सभी फार्मेट के कुल मिलाकर 12-12 मैच ही खेले हैं और उनका प्रदर्शन भी सामान्य ही रहा है। ये बात अलग है कि समर्थ सिंह को उन दोनों से मैच खेलने का अधिक अनुभव प्राप्त है।जबकि इनसे ज्यादा टीम में कई अनुभवी खिलाडी बाहर बैठकर अपनीबारी का इन्तजार कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश टीम में अब खिलाडियों के साथ ही सपोर्टिंग स्टाफ तक सहारनपुर और दिल्ली मेल की ओर से ही तय किया जा रहा है। यही नही प्रदेश के जानकार क्रिकेटर और क्रिकेट विशेषज्ञ भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की किसी भी आयु वर्ग की टीम में खिलाडियों को खेलना हो तो उसे सहारनपुर से अपनी फाइल पास करवानी पडेगी और दिल्ली् दरबार से उस पर अंतिम मुहर लगेगी तभी वह खिलाडी टीम का हिस्सा बन सकेगा। यही नही जो सदस्य किसी टीम को चुनने के लिए दल में शामिल होंगे उनकी भी नियुक्ति उसी दिल्ली-सहारनपुर मेल से ही संभव है।
दिल्ली से सहारनपुर की दूरी भले ही 238 किलोमीटर की हो लेकिन फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए गाडियों का काफिला तत्काल ही निकल लेता है और दूरी कम कर लेता है। यूपीसीए की अन्दरखाने की खबर बाहर आने से रोकना अब शायद ही किसी के बस की बात हो। इसकी बानगी अब जूनियर से लेकर सीनियर स्तर की चयन प्रक्रिया के दौरान देखने को मिली जब खिलाडियों को चयनकर्ताओं की ओर से टीम में शामिल होने की बात सौ फीसदी तक कही गयी इसके बावजूद वह टीम का हिस्सा नही रहे और जिन खिलाडियों को मैदान में देखा तक नही गया उनका चयन टीम में प्राथमिकता से किया गया।
चयन प्रक्रिया की जानकारी ही चुनिन्दा लोगों के अलावा केवल खिलाडियों और उनके अभिवावकों तक ही सीमित रखी जाती है। प्रदेश की जूनियर से लेकर सीनियर और रणजी ट्राफी में शामिल होने के लिए सहारनपुर-दिल्ली मेल के लिंक होने की अनिवार्यता से इन्कार नही किया जा सकता। पर्दे के पीछे से क्रिकेटरों को टीम में शामिल करवाने के लिए कवायद बीते कई सालों से जारी है। प्रदेश की टीमों की चयन प्रक्रिया केवल दिखावे के लिए ही की जा रही है जिसमें प्रदेश भर के सभी छोटे जिलों से आने वाले क्रिकेटर अपने खर्च पर नगर आकर उसमें शिरकत करते हैं दिक्कत ये नही कि वह चयन प्रक्रिया में शामिल होते हैं दिक्कत तो इस बात की है उन्हे बैरंग अपने घर वापस लौटना पड जाता है।
टीम के चयन की प्रक्रिया सहारनपुर से संचालित क्रिकेट संघ के सर्वे सर्वा के माध्यम से दिल्ली से पारित होकर फिर यूपीसीए में आती है। बीते कई सालों से टीम से बाहर रहे शानू सैनी,आकिब खान और समर्थ सिंह को सहारनपुर की ओर से मिली झण्डी के बाद टीम में शामिल कर लिया गया जिसके चलते प्रदेश के होनहार क्रिकेटरों को टीम में मौका नही मिल सका।
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यूपीसीए के सचिव प्रदीप गुप्ता ने बताया कि देश में क्रिकेटरों की संख्या काफी हद तक बढ़ गयी है, जिससे प्रतिभा ढूंढने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। टीम में शामिल होना अब इतना आसान नही रह गया है। कुछ प्रतिभाशाली खिलाडियों को आने वाले समय के लिए रोककर रखा गया है। शानू, आकिब और समर्थ की टीम में वापसी उनकी प्रतिभा के चलते की गयी होगी, अगर ऐसा नहीं है तो ये दुर्भाग्यपूर्ण होगा।