वाराणसी : पूर्व विधायक अजय राय को सुरक्षा प्रदान करने का कोर्ट ने दिया आदेश

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वाराणसी/बीपी प्रतिनिधि। चेतगंज थाना क्षेत्र स्थित आवास के गेट पर लगभग 31 साल पूर्व चर्चित अवधेश राय की हुई हत्या के मुकदमे की सुनवाई अब स्थानीय विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) की अदालत में की जाएगी। अब तक इस मामले की इलाहाबाद के विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) की अदालत में सुनवाई चल रही थी।

हाईकोर्ट ने उक्त मुकदमे की त्वरित सुनवाई करने का आदेश दिया है। इस मुकदमे में मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी और राकेश न्यायिक आरोपित हैं। मुकदमे के अहम गवाह मृतक अवधेश राय के भाई अजय राय ने मुख्तार अंसारी से जान का खतरा बताते हुए गवाही देने के लिए अदालत में हाजिर होने के लिए पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की।

अदालत ने उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए गवाही देने के लिए अदालत में आने को लेकर पूर्व विधायक अजय राय को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश पुलिस कमिश्नर को दिया है। तीन अगस्त 1991को अवधेश राय के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी गई थी। पूर्व विधायक अजय राय ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम व राकेश न्यायिक समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

चेतगंज पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर होने के बाद दस सितंबर 2007 अदालत ने मुख्तार अंसारी के ऊपर आरोप निर्धारित किए। अहम गवाह अजय राय का अदालत में बयान व बचाव पक्ष द्वारा जिरह की कार्रवाई चल रही थी। बाद में मुकदमा सुनवाई के लिए इलाहाबाद स्थित विशेष न्यायालय में स्थानांतरित हो गया। सुरक्षा न मिलने के कारण पूर्व विधायक गवाही करने के लिए अदालत नहीं आ पा रहे थे।

स्थानीय विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) सियाराम चौरसिया की अदालत में उक्त मुकदमे की सुनवाई प्रारंभ होने पर अजय राय की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव व विकास सिंह ने इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि वह अपने भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में अहम गवाह हैं। इस हत्याकांड में मऊ के चर्चित विधायक मुख्तार अंसारी, भीम सिंह, कमलेश सिंह व राकेश न्यायिक समेत कई लोग आरोपित हैं।

पूर्व विधायक ने आरोप लगाया है कि इस हत्याकांड में उनकी अदालत में गवाही होनी है, लेकिन उक्त मुकदमे के आरोपितों द्वारा सुलह करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और सुलह न करने पर जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है।

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इसको देखते हुए पूर्व में उन्हें सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की गई थी, लेकिन बाद में राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के चलते सुरक्षा वापस ले ली गयी। इसके चलते वह अदालत के समक्ष उपस्थित होकर गवाही नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में उसे गवाही देने आते समय मुख़्तार अंसारी व उसके गुर्गों द्वारा हत्या कराए जाने की पूरी आशंका है।