कानपुर, भूपेंद्र सिंह। सरकारी नौकरी करते हुए निजी क्रिकेट संस्था यूपीसीए में चयनकर्ता के पद पर रहकर खिलाडियों का चयन करने वाले रेलकर्मी की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे है। अब उनकी विजिलेन्स जांच हो सकती है और यदि जांच में नियमों का उल्लंंघन मिला तो उनको निलम्बन की प्रक्रिया से भी गुजरना पड सकता है। आगरा के ईदगाह रेलवे स्टेशन में डिप्टी स्टेशन मास्टर के पद पर तैनात ललित वर्मा के खिलाफ डीआरएम से शिकायत दर्ज कराकर विजिलेन्स जांच की मांग की गयी है जिसमें यह दर्शाया गया है कि वह रेलवे की सेवाओं के साथ-साथ पिछले 5 वर्षों से वे यूपीसीए की टीम के चयन के लिए प्रदेश भर में भ्रमण करते हैं वो भी आधिकारिक अवकाश लेकर। वह उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन कानपुर को भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है जो कि धारा 8 के तहत नियमों का उल्लंघन दर्शाता है ।
यूपीसीए एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है और उनसे पारिश्रमिक प्राप्त कर रहा है और अनुबंध पर हस्ताक्षर कर रहा है वे यूपीसीए कार्यालय द्वारा जारी आचार संहिता का पालन करने के लिए बाध्य हैं। वह उच्च अधिकारियों को यह जानकारी दिए बिना ही यूपीसीए कीचयनप्रक्रिया में बढचढकर हिस्सा लेते हैं यूपीसीए से उन्हें पैसा और टीए, डीए, पारिश्रमिक आदि मिल रहा है, अवैध रूप से कार्यालय से आधिकारिक रूप से छुट्टी लेता है, जो रेलवे बोर्ड के सेवा नियम के खिलाफ है। इस दौरान उसने खूब पैसा कमाया और रेलवे अधिकारियों से अनुमति लिए बिना अवैध तरीके से एक घर और कार खरीदी और निवेश किया। यही नही नियमित रूप से मैच देखने और चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं।
सेवा नियम के अनुसार आधिकारिक अवकाश लेने के लिए कोई अधिकृत नहीं है। उनके खिलाफ आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी में रेलवे बोर्ड की सहमति के बिना ही यूपीसीए को अपनी सेवा प्रदान कर रहे है। गौरतलब है रेलवे की अपनी खुद की एक टीम है जो रणजी ट्राफी,विजय हजारे ट्राफी, मुश्ताक अली, जैसी प्रतियोगिताओं में शिरकत भी करती है यही नही रेलवे बोर्ड इसके लिए विभाग के खिलाडियों को अपने यहां पर खेल की सुविधाओं से लैस भी रखता है।
इसके बावजूद भी रेलवेकर्मी ललित वर्मा बीते 5 सालों से रेलवे बोर्ड को धोखा देकर यूपीसीए की सेवा में लगा हुआ है। अलीगढ क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से रेलवे बोर्ड में उनके खिलाफ विजिलेन्स की जांच की मांग उठायी है। अलीगढ क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से भेजे गए शिकायती पत्र के जवाब में रेलवे की ओर से जांच कराने का आश्वासन दिया गया है। रेलवे की ओर से हरी झण्डी मिलते ही उनके खिलाफ विजिलेन्स की जांच शुरु हो जाएगी।