ज्ञान जहां से भी आए उसे ग्रहण करना चाहिए : सीएम योगी आदित्यनाथ

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स्टेट डेस्क/ लखनऊ। शनिवार को एकेटीयू में शुरू हुए दो दिवसीय विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वह जिस क्षेत्र में हैं वहां अधिक से अधिक शोध पत्र लिखें। नए शोध कार्यों और अनुभवों को सामने लाएं। नए शोधार्थियों को उनके बारे में बताएं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल में शोध पत्रों का प्रकाशन कराएं। शोध कार्यों का पेटेंट कराएं। इससे हम आगे बढ़ेंगे।

कोई भी नया ज्ञान विज्ञान है। ज्ञान जहां से भी आए उसे ग्रहण करना चाहिए। यही वैज्ञानिक दृष्टि है। मंत्रों में भी हमारे यहाँ वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिखता है। कहा गया है कि कोई वस्तु नष्ट नहीं होती पूर्णता बनी रहती है। हम सरकारी काम भले ही अंग्रेजी में करते हैं लेकिन घर के कार्यक्रम भारतीय पद्धति से करते हैं। अंग्रेजी में वैज्ञानिक दृष्टि नहीं है।

हमारी भारतीय पद्धति से ही पता चलता है कि कौन मुहूर्त कब होगा। सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, पूर्णिमा और अमावस्या कब होगी? हमारे दर्शन में हजारों साल पहले गीता ज्ञान में बता दिया गया कि आत्मा अमर है। आज किसी भी कार्य को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने की आदत खत्म हो रही है, इसे सुधारना होगा। हमारी प्रतिदिन की घटनाएं हमें वैज्ञानिक सोच के प्रति जागरूक करती हैं। इसलिए हमें एक ढर्रे पर चलने की बजाए कुछ नया करना होगा। उन्होंने कह कि नई शिक्षा नीति इस क्षेत्र में आने वाले समय में सहायक होगी।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता आंदोलन एवं विज्ञान विषयक पुस्तक के हिंदी व मराठी संस्करण का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में विज्ञान भारती के निवर्तमान अध्यक्ष पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. शेखर मांडे, एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा, आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर व देश भर से आए विज्ञान भारती के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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