पंकज श्रीवास्तव। बड़े शौक़ से सुन रहा था ज़माना, हमीं सो गये दास्ताँ कहते-कहते..! ये यक़ीन और बर्दाश्त के बाहर की ख़बर है। कमाल भाई जैसा फ़िट पत्रकार कोई दूसरा न था, ऐसे में उनका दिल यूँ साथ छोड़ देगा, भरोसा नहीं होता।
शायद ये आज के दौर में कुछ बचे-खुचे संवेदनशील टीवी पत्रकारों के दिल में मचे बवंडर की शिनाख़्त भी है। कमाल भाई के शांत लहजे पर उनके दिल का तूफ़ान भारी पड़ गया और एक शानदार पत्रकार और इंसान को सितारों पर उड़ा ले गया!
18 साल पहले जब लखनऊ में स्टार न्यूज़ रिपोर्टर बतौर तैनात हुआ था तो कमाल भाई से गाढ़ी छनी थी। पढ़ने-लिखने में उनकी दिलचस्पी, ज़ुबान का बर्ताव और एक सुंदर मुहब्बत भरे समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें सबसे जुदा करती थी। अवध की गंगा-जमुनी तहज़ीब के तो वे ब्रांड एंबेसडर ही थे। मेरी बदक़िस्मती कि लखनऊ में होने के बावजूद कमाल भाई को आख़िरी सलाम कहने नहीं जा सकता। पाँव में कोविड ने बेड़ी डाल दी है। यहीं श्रद्धांजलि दे रहा हूँ।
पानी केरा बुलबुला, जस मानस की जात
देखत ही छुप जाएगा ज्यों तारा प्रभात..!
अलविदा कमाल भाई…हिंदी पत्रकारिता के स्याह पड़ चुके आसमान में तुम हमेशा किसी सितारे की तरह चमकोगे। जब वाक़ई उजले दिन आयेंगे तो तुम्हारे नाम का हवाला देकर कहा जाएगा कि उन दिनों की तमाम बर्बादियों के बीच लखनऊ में एक कमाल भी था!!
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