स्टेट डेस्क/लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त हो चुका है। 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी। इस बीच कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम को लेकर आरोप लगाया था कि यह गाड़ी में कहीं ले जायी जा रही थीं। इसके बाद से इस मामले ने तूल पकड़ लिया था।
अब इस मामले पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि कुछ मीडिया चैनलों द्वारा यह संज्ञान में लाया गया है कि वाराणसी में आठ मार्च को कुछ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें गाड़ी में ले जायी जा रही थीं, जिन पर वहां उपस्थित राजनीतिक प्रतिनिधियों द्वारा आपत्ति की गयी थी। इस मामले की जिला निर्वाचन अधिकारी ने जांच की। जांच के दौरान यह पता चला कि मतगणना अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए ईवीएम चिन्हित थीं।
जिले में मतगणना अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए कल नौ मार्च को प्रशिक्षण आयोजित किया गया है, जिसके लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) मंडी में स्थित अलग खाद्य गोदाम में बने स्टोरेज से यूपी कॉलेज स्थित प्रशिक्षण स्थल ले लायी जा रही थीं। कल काउंटिंग ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की द्वितीय ट्रेनिंग है और हैंड्स ऑन ट्रेनिंग हेतु ये मशीन ट्रेनिंग में हमेशा प्रयुक्त होती हैं। आज प्रशिक्षण हेतु ले जायी जा रही इन ईवीएम को कुछ राजनैतिक लोगों ने वाहन को रोक कर उसे चुनाव में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) कह कर अफवाह फैलायी है।
मतदान में प्रयुक्त सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें स्ट्रांग रूम के अंदर सील बंद हैं तथा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में सुरक्षित हैं। ये मशीन पूरी तरह से अलग हैं और सुरक्षित हैं और उसमें सीसीटीवी की निगरानी है। सभी राजनैतिक दलों/प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों द्वारा सीसीटीवी कवरेज के माध्यम से इन पर लगातार सीधी निगरानी की जा रही है। जिला निर्वाचन अधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी द्वारा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी इसके संबंध में जानकारी दी गई और घटना से संबंधित तथ्यों से उपस्थित मीडिया को भी अवगत कराया गया है। बता दें कि समाजवादी पार्टी ने कल आरोप लगाया था कि वाराणसी में मतगणना केंद्रों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को ले जाया जा रहा है। वहीं सोनभद्र में भी सपा कार्यकर्ताओं ने मतपत्र लदी दो सरकारी गाड़ी को पकड़ा था। साथ ही इसकी जानकारी अधिकारियों को भी दी थी।