डीएम व एडीएम के आदेश को बदल दिया गया…रैयत के सभी दस्तावेजों को किया दरकिनार

बक्सर

बक्सर,विक्रांत। डीएम व एडीएम साहब के आदेश को भी एक साहब ने दर किनार कर दिया. रैयत के दस्तावेजों का अनदेखी कर दिया. चूंकि साहब की तूती बोल रही है। ऐसा ही ताजा मामला राजपुर प्रखंड के सैंथू गांव से आया है। जहां एक रैयत की जमाबंदी गलत तरीके से दूसरे के नाम से कर दी गई थी। डीएम व एडीएम की जांच के बाद पुनः जमाबंदी लागू रैयत के नाम पर की गई।

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परंतु सदर एसडीओ साहब ने दोनों अधिकारियों के आदेश व जांच को दरकिनार करते हुए विपक्षी के अधिकार में देने को विवादास्पद कथित आदेश पारित कर दिए। ऐसे में परेशान पीड़ित अब क्या करें। साहब के कथित आदेश से पीड़ित गणेश चौबे ने बताया कि वह अपनी पुस्तैनी भूमि पर नियमानुसार लगान जमा कर रहे थे। इसी बीच वर्ष 2022 में उन्हें यह जानकारी प्राप्त हुई कि करीब 14 एकड़ भूमि दूसरे के नाम पर जमाबंदी कर दी गई है।

इसमें राजपुर अंचलाधिकारी सहित अन्य कर्मियांे की मिली भगत है। उन्होंने वरीय अधिकारियों को आवेदन दिया। इसके बाद लोक शिकायत में परिवाददायर किया। प्रथम अपील की सुनवाई के दौरान तत्कालीन डीएम ने मामले की विधिवत जांच करायी। जिसमें सामने आया कि तत्कालीन सीओ ने गड़बड़ी की थी। नियमों की अनदेखी की थी। आगे गणेश चौबे ने बताया कि 21 मार्च 2023 को जमाबंदी सुधार के लिए डीएम ने अपर समार्हता के पास भेज दिया।

नियमानुसार वहां पर विपक्षी पार्टी को भी बुलाया गया। सभी दस्तावेजों की जांचोपरांत अपर समार्हता ने 25 सितंबर 2024 को गणेश चौबे के पक्ष में जमाबंदी करने का आदेश दिया। सीओ ने हल्का कर्मचारी से रिपोर्ट लेने व डीसीएलआर से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद गणेश चौबे के नाम पर जमाबंदी कायम कर दिया। इसी बीच 14 व 28 दिसंबर 2024 को अनुमंडल स्तरीय भूमि विवाद निराकण बैठक में यह मामला आया।

सदर एसडीओ ने चकबंदी के एक पुराने मामले को देखते हुए विपक्षी के पक्ष में भूमि के स्वामित्व का विवादस्पद आदेश दे दिया। पीड़ित गणेश चौबे का कहना है कि जिस चकबंदी वाद का हवाला दिया जा रहा है। वहां से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार उस कार्यालय में इस तरह का कोई वाद ही नहीं चला है।

सदर एसडीओ साहब कोई भी दस्तावेज देखने को तैयार नहीं थे। पीड़ित गणेश चौबे ने आरोप लगाया है कि एसडीओ ने तो डीएम के जांच प्रतिवेदन को न देखे और न एडीएम के कोर्ट के आदेश को देखे। बल्कि उन्होंने अपना एक अलग आदेश जारी कर दिया। ऐसे में वे व्यथा लेकर जाए तो किसके पास।