मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शहादत दिवस पर आयोजित ‘महिला अधिकार कन्वेंशन’ को संबोधित करती हुई ऐपवा के राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि आजादी, न्याय व अधिकार के लिए अंग्रेजों के खिलाफ ऐतिहासिक जंग में शहीद लक्ष्मीबाई से देश की महिलाएं व बेटियां प्रेरणा लेती रहेंगी। न्याय व आजादी की साझी लड़ाई देश में आज भी जारी है। महिला पहलवानों के न्याय की लड़ाई के साथ देश की महिलाएं और बेटियां खड़ीं हैं। नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर उन महिला पहलवानों के साथ अंग्रेजी राज की तरह शर्मनाक पुलिसिया बर्बरता ढाई गई और बढ़चढ़ कर बेटी बचाओ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री मोदी चुप्पी साध बैठे हैं।
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) द्वारा यह कन्वेंशन दिवान रोड स्थित किरणश्री भवन में आयोजित था जिसमें मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, चंपारण से सैकड़ों महिलाएं और छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अंग्रेजी राज के खिलाफ 1857 के विद्रोह में शहीद लक्ष्मीबाई सहित बेगम हजरत महल, उदा देवी, झलकारी बाई, जीनत महल, अजीजन बाई, सुंदर-मुंदर, मोहसिना, शाह देवी, मंजू , महावीरी देवी, आशा देवी,मैम कौर ,जमीला जैसे अनगिनत गुमनाम महिला शहीदों को याद किया गया तथा तथा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कन्वेंशन को संबोधित करती हुई ऐपवा महासचिव ने आगे कहा कि हम जानते हैं कि अंग्रेजी राज से आजादी के लिए हर धर्म और हर तबके की महिलाएं- रानियां, दासियां, तवायफें, अतिपिछड़े व दलित समुदाय की किसान-मजदूर महिलाएं,युवा लड़कियां,नई बहुएं सब आंदोलन में कुद पड़ी थीं। आज भी आजादी के 75 वर्षों के बाद सभी महिलाओं को न्याय, आजादी ,अधिकार और रोजी-रोटी के लिए संघर्ष में कूद पड़ना है। आज महिलाओं के बीच भी धार्मिक सांप्रदायिक उन्माद, विभाजन, नफरत और हिन्दू-मुस्लिम का जहर फैलाने की साजिश जारी है। लेकिन उनके रोजगार व अधिकार के प्रति सरकार बेपरवाह बनीं हुई हैं।
महिला कन्वेंशन को समस्तीपुर से आईं महिला नेत्री वंदना सिंह, मनीषा, दरभंगा की रानी सिंह और शनीचरी देवी, मुजफ्फरपुर की शारदा देवी, रानी प्रसाद, प्रो मीरा ठाकुर, शर्मिला देवी, गायघाट से जिला पार्षद विजनेश यादव, रसोइया अनारसी देवी, शबनम खातुन, चंद्रकला देवी, प्रमिला देवी, निर्मला सिंह, शंकर देवी, आंगनबाड़ी सेविका चिंता देवी, छात्रा प्रियंका, अनुराधा,मनीषा, मुस्कान, स्नेहा सहित अन्य ने भी संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि आजाद देश की भावनाओं के विपरीत आज महिलाओं के जीवन की समस्याएं बढ़ती ही जा रहीं हैं। शिक्षा महंगी होती जा रहीं हैं। महंगाई और बेरोजगारी की मार की शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं हो रहीं हैं। मानदेय-स्कीम वर्कर-रसोइया को न तो सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जा रहा है और ही उचित मानदेय दिया जा रहा है। आए दिन महिलाएं यौन हिंसा, ऑनर किलिंग, दहेज के लिए प्रताड़ना सहित अश्लील विडियो बनाकर लड़कियों को ब्लैकमेल किया जा रहा है। आजादी के 75वें वर्ष में भी न्याय, आजादी व अधिकार के लिए महिलाओं को आरपार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।