बिहार की राजनीति में उबाल जीतन राम मांझी के बयान से एनडीए में दरार की अटकलें तेज

पटना

पटना, अशोक “अश्क” बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमा गया है। जहां विपक्षी इंडिया गठबंधन में खींचतान की खबरें चर्चा में है। वहीं अब एनडीए में भी सबकुछ ठीक नहीं होने के संकेत मिल रहे हैं। इसका कारण बने हैं केंद्रीय मंत्री और हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी, जिन्होंने जहानाबाद में एक रैली के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, हमें धोखा दिया गया, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में यह धोखा नहीं चलेगा।

जीतन राम मांझी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, बिहार में मां-पिता पालन पोषण अधिनियम लागू है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रहते मांझी का अपमान कैसे संभव है? उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए में कोई दरार नहीं है, बल्कि करार है, और 2025 में फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनेगी। बीजेपी ने भी मांझी को मनाने की कोशिश की। पार्टी प्रवक्ता कुंतल कृष्णा ने कहा, एनडीए एक परिवार है और परिवार के सभी सदस्य एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को हटाना हमारा मुख्य उद्देश्य है। दूसरी ओर, आरजेडी ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए जीतन राम मांझी को एनडीए छोड़ने का न्योता दिया। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, जीतन राम मांझी एक अनुभवी नेता हैं और उन्हें बीजेपी का असली चेहरा समझना चाहिए। उन्हें अपनी कुर्सी छोड़कर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में दलित, शोषित और वंचित वर्गों की लड़ाई लड़नी चाहिए। आरजेडी ने भाजपा पर सहयोगियों को धोखा देने का आरोप लगाया।

मृत्युंजय तिवारी ने कहा, लालू यादव की यूनिवर्सिटी से निकले जीतन राम मांझी को तय करना है कि आगे क्या करेंगे। बीजेपी ने पहले भी अपने सहयोगियों को तोड़ा है और अब मांझी की पार्टी को भी तोड़ने की कोशिश कर रही है। जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है। केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद मांझी की नाराजगी से यह साफ है कि गठबंधन के भीतर सबकुछ सही नहीं चल रहा।

अगर विधानसभा चुनाव से पहले ही ऐसी स्थिति है, तो चुनाव के दौरान मांझी की पार्टी का रुख क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी। बिहार की राजनीति में इस घटनाक्रम ने एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के भीतर उथल-पुथल का माहौल पैदा कर दिया है। अब देखना होगा कि मांझी के इस बयान का असर एनडीए के चुनावी समीकरणों पर कितना पड़ता है।