DESK : लालू यादव पर सीबीआई की कार्रवाई को लेकर सीएम नीतीश कुमार के ‘बेचारे’ वाले बयान पर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चारा घोटाले मामले बहस हुई, लेकिन लालू यादव सहित किसी भी अभियुक्त को कहीं से राहत नहीं मिली. राज्य के खजाने से 900 करोड़ की लूट का यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना. सीबीआई के द्वारा पहली कार्रवाई के समय विपक्षी गठबंधन के ही प्रधानमंत्री थे. लालू यादव खुद नेतृत्व की बड़ी भूमिका में थे, लेकिन माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा केस की मॉनिटरिंग के कारण कुछ नहीं कर पाए.
विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री द्वारा लालू यादव को फंसाने संबंधी बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा इस तरह का बयान अशोभनीय है. लालू यादव के विरुद्ध माननीय न्यायालय में याचिका दायर करने और सीबीआई को साक्ष्य उपलब्ध कराने में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. नीतीश कुमार के इशारे और हस्तक्षेप के कारण ही ये लोग सक्रिय भूमिका में थे. लालू यादव यदि निर्दोष थे तो उन लोगों को नीतीश कुमार ने याचिका दायर करने से क्यों नहीं रोका?
बीजेपी नेता ने कहा कि जंगलराज वाले दिनों में चारा घोटाला महत्वपूर्ण मुद्दा था. 1990-2005 वाली सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बीजेपी ने जो आंदोलन चलाया था, उसमें चारा घोटाले के विरूद्ध राज्य की जनता भी सहयोग के लिए सड़क पर उतर गई थी. इसके बाद ही बीजेपी ने नीतीश कुमार को राज्य का नेतृत्व सौंपा था, लेकिन जंगलराज वालों को हटाने वाले आंदोलन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
उस आंदोलन के बलिदानियों को भी वे भूल गए. इन्हें उन दिनों के संघर्ष का कोई अनुभव और योगदान नहीं है. इस कारण वे चारा घोटाले वालों के साथ पिछले दरवाजे से सरकार बना ली और सीबीआई की आलोचना कर रहे हैं. राज्य की जनता सब देख रही है और आने वाले चुनाव में नीतीश कुमार को भी बाहर का रास्ता दिखा देगी.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीबीआई एक संवैधानिक संस्था है. सबूत और साक्ष्य के आधार पर ही यह कार्रवाई करती है. चारा घोटाले के मामले में राज्य सरकार ने भी सीबीआई को प्रशंसनीय सहयोग किया था. यहां तक कि माननीय न्यायालय में कुछ मामलों में बिहार सरकार इंटरवेनर भी बनी थी, लेकिन उन सब बातों को भूलकर सीबीआई पर आरोप लगाना न्याय संगत नहीं है.