समस्तीपुर, अशोक “अश्क” खानपुर प्रखंड के बछौली पंचायत के वार्ड संख्या-4 सोनसा में नल-जल सेवा पिछले तीन सप्ताह से बंद पड़ी है। इसके कारण ग्रामीणों को पेयजल के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि दर्जनों परिवार बूढ़ी गंडक नदी से पानी लाकर पीने और दैनिक जरूरतें पूरी करने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिजली विभाग ने बिल जमा नहीं होने के कारण नल-जल योजना का बिजली कनेक्शन काट दिया है।

इसके बाद से ही पेयजल की आपूर्ति बाधित हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले से ही पानी की समस्या थी, लेकिन अब यह संकट और बढ़ गया है। पेयजल आपूर्ति ठप होने के कारण लोग नदी का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं। महिलाओं और बच्चों को बाल्टी लेकर पानी लाने के लिए नदी तक जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह पानी पीने लायक नहीं है, लेकिन मजबूरी में इसे ही इस्तेमाल करना पड़ रहा है।



स्थानीय मुखिया विनोद कुमार ने बताया कि मार्च 2023 में नल-जल सेवा का प्रबंधन पंचायती राज विभाग से लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, बिजली बिल का भुगतान अभी भी पंचायती राज विभाग को ही करना था। पीएचईडी को केवल मरम्मत कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
लेकिन, बिल का भुगतान न होने के कारण बिजली विभाग ने कनेक्शन काट दिया। इस संबंध में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के खानपुर कार्य प्रमंडल के एसडीओ ने बताया कि बिजली बिल और नल-जल योजना के अनुरक्षक का वेतन पंचायती राज विभाग के अधीन है। पीएचईडी केवल मरम्मत और तकनीकी देखरेख का कार्य करता है।
खानपुर प्रखंड के बीडीओ विजय चंद्रा ने कहा कि इस समस्या को लेकर बिजली विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों से बातचीत की जा रही है। जल्द ही नल-जल सेवा को फिर से बहाल किया जाएगा, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।
साथ ही, जिम्मेदार विभागों के बीच तालमेल बिठाकर नल-जल सेवा को सुचारू रूप से चलाने की व्यवस्था की जाए। पेयजल संकट के कारण सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना पर भी सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई गई यह योजना अव्यवस्था और लापरवाही के कारण विफल हो रही है।
पेयजल संकट ने सोनसा गांव के लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। यह समस्या केवल सोनसा तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य गांवों में भी ऐसी स्थिति बन सकती है। इसीलिए आवश्यक है कि संबंधित विभाग जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि ग्रामीणों को पीने का स्वच्छ पानी मिल सके।