सेंट्रल डेस्क। बांग्लादेश में बीते साल 5 अगस्त को हुए घटनाक्रम के बाद से राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। उस दिन के बाद से, देश में कट्टरपंथी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ी हैं, और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संभावित हस्तक्षेप की आशंका जताई जा रही है। बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी अवामी लीग के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संयुक्त सचिव बहाउद्दीन नसीम ने हाल ही में एक साक्षात्कार में इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई।

उनका कहना था कि पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव बांग्लादेश में तेजी से बढ़ रहा है, और ये समूह देश के धर्मनिरपेक्ष माहौल को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। नसीम ने 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए घटनाक्रम को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि इसके बाद बांग्लादेश में स्थिति काफी खराब हो गई है।
उनका कहना था कि इस घटना ने कट्टरपंथियों को मुख्यधारा में घुसने का मौका दिया, और अब आईएसआई पर्दे के पीछे से इस्लामी कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने में सक्रिय है। नसीम ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में अपने प्रॉक्सी संगठनों और जमात-ए-इस्लामी का इस्तेमाल कर रही है, ताकि देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर किया जा सके।
उनका कहना था कि आईएसआई बांग्लादेश की सरकार में घुसपैठ कर जिहादियों के साथ मिलकर बांग्लादेश को एक इस्लामी कट्टरपंथी राज्य बनाने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे पर अवामी लीग के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व सूचना मंत्री मोहम्मद ए. अराफात ने भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त के बाद से अवामी लीग के कार्यकर्ताओं के घरों पर लगातार हमले हुए हैं।
कट्टरपंथियों के उभार पर अराफात ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी का मुख्यालय पाकिस्तान के लाहौर में है, और यही वह संगठन है जिसने 1971 में पाकिस्तान का समर्थन किया था। अराफात ने यह भी दावा किया कि प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस, जो वर्तमान में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार हैं, केवल एक चेहरे के रूप में काम कर रहे हैं, और असल में पाकिस्तान से जुड़े जिहादी संगठन बांग्लादेश में अराजकता फैला रहे हैं।
नसीम और अराफात के आरोपों के बीच, बांग्लादेश के भीतर पाकिस्तानी सामान की बढ़ती आयात और ढाका-इस्लामाबाद के बीच बढ़ता संबंध भी एक चिंता का विषय बन गया है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो रहा है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ने के कारण देश की आंतरिक स्थिति बहुत जटिल हो गई है। ऐसे में बांग्लादेश का भविष्य इस बात पर निर्भर करती है कि क्या देश अपनी धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को बनाए रखने में सफल होगा या फिर कट्टरपंथी ताकतें उसे अपनी गिरफ्त में ले लेगी।