क्षेत्रों से भगाए जा रहे हैं भाजपा के प्रत्याशी, 13 दिन में 10 घटनाएं

Politics उत्तर प्रदेश

चुनाव डेस्क। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों का विरोध जारी है। गुरुवार को सुबह नोएडा से भाजपा के प्रत्याशी पंकज सिंह (रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र) के चुनाव प्रचार में पहुंचे दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी कई जगह विरोध का सामना करना पड़ा।

बस्ती वालों ने जूता दिखाते हुए मनोज तिवारी वापस जाओ के भी नारे लगाए और उन्हें जनसंपर्क नहीं करने दिया। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ है। बीती 20 जनवरी से 3 फरवरी तक ऐसी 10 घटनाएं हो चुकी हैं जिनमे भाजपा प्रत्याशियों को जनता का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। गांवों में न घुसने देने का ट्रेंड जो किसान आंदोलन के बीच चल रहा था वही चुनाव के दौरान शुरू हो गया है। एक प्रत्याशी को तो अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करानी पड़ गयी।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 22 जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र गुलामीपुर में प्रचार करने पहुंचे तो महिलाओं ने घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी। वे केशव मौर्य के खिलाफ नारा लगाने लगीं। मौर्य ने महिलाओं को चुप करवाने की कोशिश जरूर की, पर महिलाएं चुप नहीं हुईं।

वीडियो वायरल हुआ तो सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा, ‘पहले कुर्सी खतरे में आई अब स्टूल भी खतरे में है।’ दरअसल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने एक बार कहा था कि केशव प्रसाद मौर्य को मंत्रिमंडल में बैठने के लिए सोफा नहीं बल्कि स्टूल मिलता है। इसके बाद विपक्षी दल केशव प्रसाद पर तंज के लिए स्टूल शब्द का प्रयोग करने लगे।

भाजपा एमएलसी सुरेंद्र चौधरी 29 जनवरी को केशव प्रसाद मौर्य के लिए सिराथू प्रचार करने गए थे। अफजलपुर वारी के लोगों ने गांव में घुसने से पहले ही रोक लिया। सुरेंद्र समझाते रहे कि ‘भइया मेरी सुन लो भाजपा ने राममंदिर बनाया’ लेकिन लोग नहीं माने। आखिर में सुरेंद्र चौधरी को वापस जाना पड़ा।

इसी तरह जालौन की उरई सीट से भाजपा प्रत्याशी विधायक गौरी शंकर वर्मा 29 जनवरी को क्षेत्र में प्रचार करने पहुंचे तो नारेबाजी शुरू हो गई। लोगों ने कहा, ‘पांच साल में न की एक सड़क बनी और न ही नल मिला।’ विधायक सफाई देने लगे लेकिन जनता एक न सुनी। विधायक वहां से निकल गए। घर पहुंचे तो लोगो से कहा कि शराबी लोग थे, वही विरोध कर रहे थे, बाकी पूरा गांव हमारे ही साथ है।

बुलंदशहर की स्याना सीट से विधायक देवेंद्र सिंह लोधी 25 जनवरी को प्रचार करने पहुंचे तो लोग हूटिंग करने लगे। लोगों का आरोप है कि गांव में न सड़क बनी, न कोई नल लगवाया। वोट मांगने आए हैं तो विरोध करेंगे ही। विधायक ने पहले तो हाथ जोड़े और फिर वहां से निकल आए। मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से भाजपा के विक्रम सैनी विधायक ने 20 जनवरी को मनव्वरपुर गांव में प्रचार करने पहुंचे तो लोगों ने घेर लिया। मुर्दाबाद के नारे लगने लगे।

विधायक समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन जनता नहीं मानी। विक्रम सैनी चले गए। उन्हें फिर 29 जनवरी को चांद समंद गांव में घेर लिया गया। नारेबाजी हुई और काफिले की एक गाड़ी का सामने वाला शीशा तोड़ दिया गया। विधायक को अपने ही क्षेत्र के लोगों पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी।

मेरठ की सिवलखास सीट से भाजपा प्रत्याशी मनिंदर पाल 21 जनवरी को पथोनी गांव में प्रचार करने पहुंचे तो हंगामा हो गया। विधायक मनिंदर पाल ने समझदारी दिखाई और खुद ही वापस लौट गए। संभल की असमोली सीट पर दो बार से सपा की पिंकी यादव को चुनौती देने के लिए भाजपा के हरेंद्र सिंह रिंकू 21 जनवरी को शकरपुर गांव पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया।

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वायरल वीडियो में ये भी कहा जा रहा कि किसी भाजपा नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे। फिरोजाबाद की जसराना सीट से भाजपा ने मानवेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है। मानवेंद्र की पत्नी ज्योति किरण राजपूत प्रचार करने पहुंचीं तो विरोध शुरू हो गया।